Book Title: Titthogali Painnaya Author(s): Kalyanvijay Publisher: Shwetambar Jain Sangh View full book textPage 4
________________ अहिंसा सत्याऽस्तेयादि, ब्रह्माऽपरिग्रहात्मकः । प्रोक्तो पंचशिखो धर्म-स्तं वीरं प्रणमाम्यहम् ।। मुक्ते : शताब्दिसुमहे तव पञ्चविंशे, ____ भक्तया प्रष्ट मनसा च समर्पयामि । तीर्थप्रवाहविषये स्फुटमर्थ पूर्ण, तुभ्यं प्रकीर्णकमिदं श्रमणेन्द्र वीर । जालोर, १ मई, १९७५ पन्यासः गणिः कन्याणविजयः परस्परोपवही जीवानामPage Navigation
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