Book Title: Tirthankar Mahavira Part 2
Author(s): Vijayendrasuri
Publisher: Kashinath Sarak Mumbai

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Page 779
________________ तीर्थंकर महावीर भाग १ पर कुद्ध सम्मतियाँ आदिनाथ नेमिनाथ उपाध्याय, कोल्हापुर It is a valuable treatise full of well-documented ioformation. You deserve all praise for the pains you have taken in collecting so much information and presenting it in a systematic form. डा. वासुदेवशरण अग्रवाल, हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी तीर्थङ्कर महावीर (भाग १) पुस्तक पुण्यात्मा विद्वान के विद्यावदात तप का फल है । देखकर चित्त प्रसन्न हुआ, विशेषतः यह देखकर कि इस आयु में उनका ज्ञानसत्र प्रचलित है। पुस्तक शोध-सामग्री से युक्त और सर्वथा उपादेय है। पं० बनारसोदास चतुर्वेदी एम० पी०, नयी दिल्ली ग्रंथ मेरे लिए उपयोगी सिद्ध होगा। डा० शिवनाथ, शान्ति निकेतन भगवान महावीर सम्बन्धी ऐतिहासिक प्रमाणों से पुष्ट इस ग्रन्थ के समान अन्य ग्रन्थ दृष्टिगोचर नहीं होगा। विद्या को तपस्या के रूप में ग्रहण कर महाराज जी ने जो यह ग्रन्थ प्रस्तुत किया है उसके कारण वे साहित्य-जगत में अमर रहेंगे। माईदयाल जैन, दिल्ली पुस्तक ऐतिहासिक पद्धति पर लिखी गयी है। अतः एक नये ढंग की चीज है। मैंने इसे पढ़ने की अपने कई मित्रों से प्रेरणा की है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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