Book Title: Tilakmanjari Me Kavya Saundarya
Author(s): Vijay Garg
Publisher: Bharatiya Vidya Prakashan2017

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Page 2
________________ ग्रन्थ बहुमुखी प्रतिभा के धनी महाकवि धनपाल ने संस्कृत, प्राकृत तथा अपभ्रंश में काव्य रचनाएँ की हैं। 'गद्यं कवीनां निकषं वदन्ति' को चरितार्थ करते हुए धनपाल ने तिलकमञ्जरी कथा का प्रणयन कर अपनी उत्कृष्ट कवित्व शक्ति का परिचय दिया है। जिस गद्य विधा के द्वारा सुबन्धु, बाणभट्ट और दण्डी ने विद्वत् जगत् में अमर यश को प्राप्त किया, उसी शैली में धनपाल ने तिलकमञ्जरी के सौन्दर्य की छटा सर्वत्र प्रसारित कर गद्यकाव्य की श्री वृद्धि की है। तिलकमञ्जरी में महाकवि धनपाल की अद्भुत भावयित्री तथा कारयित्री प्रतिभा दृष्टिगोचर होती है, जिससे तिलकमञ्जरी आद्योपान्त प्रकाशित है। तिलकमञ्जरी में काव्य सौन्दर्य सर्वत्र व्यञ्जित होता है। प्रस्तुत पुस्तक में सौन्दर्य उद्घाटन के क्रम में पात्रगत सौन्दर्य, वर्णन सौन्दर्य, रस सौन्दर्य, औचित्य सौन्दर्य, उक्ति सौन्दर्य तथा भाषिक सौन्दर्य को प्रकट किया गया है।

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