Book Title: Tharapadragaccha ka Sankshipta Itihas
Author(s): Shivprasad
Publisher: Z_Nirgrantha_1_022701.pdf and Nirgrantha_2_022702.pdf and Nirgrantha_3_022703.pdf

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Page 8
________________ शिवप्रसाद Nirgrantha वाचक हरिगुप्त [तोरमाण के गुरु] कवि देवगुप्त सूपुरुषचरिय के रचनाकार] शिवचन्द्रगणिमहत्तर नाग वृन्द दुर्ग मम्मट अग्निशर्मा वटेश्वर क्षमाश्रमण [आकाशवप्रनगर/अम्बरकोट/ अमरकोट में जिनमंदिर के निर्माता तत्त्वाचार्य दाक्षिण्यचिह्न उद्योतनसूरि [शक सं० ७०० / ई० स०७७८ में कुवलयमालाकहा के रचनाकार] कृष्णर्षिगच्छ के आचार्य जयसिंहसूरि ने वि० सं० ९१५ / ई० स० ८५९ में धर्मोपदेशमालाविवरण की रचना की। इसकी प्रशस्ति में उन्होंने वटेश्वर क्षमाश्रमण को अपना पूर्वज बतलाते हुए अपनी गुरु-परम्परा का परिचय इस प्रकार दिया है वटेश्वर क्षमाश्रमण तत्त्वाचार्य । यक्षमहत्तर कृष्णर्षि जयसिंहसूरि [वि० सं०९१५ / ई०स०८५९ में धर्मोपदेशमालाविवरण के रचनाकार] उक्त दोनों प्रशस्तियों की गुरु-परम्परा की तालिकाओं के समायोजन से उद्योतनसूरि और जयसिंहसूरि की गुरु-परम्परा की जो संयुक्त तालिका बनती है, वह इस प्रकार है: Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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