Book Title: Tejbai Vrat Grahan Sazzaya Author(s): Suyashchandravijay, Sujaschandravijay Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 9
________________ डिसेम्बर-२००९ १०९ दस भण खारूं शाम्व, वीस मण आंबली, दस मण मीठे मोकलुं ए ॥३३।। मध तणो निषेध, धोणि(णी) आठज, मासइं धोणी मोकली ए ॥३४॥ सगपणनइ समंध, विहवा मेलवा, च्यार सु(सू)झइ वरसना ए ॥३५।। ढाल - ३ हवई पालुं व्रत आठमुं अनरथडंड टालुं दुरध्यान पाप आदेसथी, खप करि(री)मन वालुं, बारे व्रत मुझ मन वस्यां ॥१॥ चोर मारतो नवी(वि)जोउं, सति(ती) चढति(ती)काठि, रमता भवाईआ नवी(वि) योउं, न जाउं सोकठां वाटइ बारे व्रत मुझ मन वस्यां ।२।। सुडि (सूडी) पाली कटारडी, चूहलेतरूं अगनि, विणि दाखीण आपु नहिं, न थाउं परमादई मगन ____ बारे व्रत मुझ मन वस्यां ॥३॥ नोमइं सामायक व्रतइं, पडिकमणुं सोई, मासई दस पोहचाडवां, परमाद गमाई, बारे व्रत मुज मन वस्यां ॥४॥ दसमई देसावगासी(सि)इं, चउद नि[य]म संभारूं, साझइं संखइंपुं वली, मनथी न वी(वि)सारूं बारे व्रत मुज मन वस्यां ॥५॥ अग्यारमइ पौषध व्रतइं, वरसई पोसइ एक, रूडि परि आराधवो, मन धरि(री) वी(वि)वेक, बारे व्रत मुज मन वस्यां ॥६॥ अतित[थ] संविभाग व्रत बारमई, करूं साधनि(नी)भगतइ,Page Navigation
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