Book Title: Tejbai Vrat Grahan Sazzaya
Author(s): Suyashchandravijay, Sujaschandravijay
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 10
________________ 110 अनुसन्धान-५० साधवी श्रावक श्राविका, छतइ योगि संयुगत, __ बारे व्रत मुज मन वस्यां // 7 // चार आगार संयुत ए, पालुं पचखाण, छ छींडी छ मोकली, सुणयो गुण जाण, बारे व्रत मुज मन वस्यां // 8 // पचखांणभंगई करूं, एकासणुं एक, श्रीगुरु प्रचरण पसाउलइं, मुझ हयो विवेक बारे व्रत मुज मन वस्यां // 9 // राजा गण बलवंतनो, देवता अभियोग गुरूनिग्रह आजीविका, छ छींडी योग बारे व्रत मुज मन वस्यां // 10 // अन्नत्थणाभोगेणं सही, सहसागारेणं, महत्तरागारेणं सव (व्व), समाहिवत्तिआगारेणं बारे व्रत मुज मन वस्यां // 11 // जाणो च्यार आगार ए, एणे पचखाण, भाजे नही मुझ इम कयुं, श्रीगुरु गुण जाणि बारे व्रत मुज मन वस्यां // 12 // संवत सोलते ब्यासीइं, ऊचर्या व्रत बार, श्रीविजयाणंदसूरी(रि)कहनई, तरवा संसार बारे व्रत मुज मन वस्यां // 14 // श्राविका तेजबाई तणो, ए व्रत सज्झाय, देवचंद्र मुनि इम भणइ, एह सुगति उपाय, बारे व्रत मुझ मन वस्यां // 15 // छ / छ / छ // छ // छ / छ / छ / C/o. अश्विन संघवी कायस्थ महोल्लो, गोपुपुरा, सूरत-१

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