Book Title: Tattvartha Sutra Jainagam Samanvay
Author(s): Atmaram Maharaj, Chandrashekhar Shastri
Publisher: Lala Shadiram Gokulchand Jouhari
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तत्त्वार्थसूत्रजैनाऽऽगमसमन्वय :
८-प्रत्येक द्वीप समुद्र गोल चूड़ी के आकार, पहिले २ द्वीप तथा समुद्र को
घेरे हुए और एक दूसरे से दुगुने २ विस्तार वाला है। जम्बू द्वीप६-उन सब द्वीप समुद्रों के बीच में सुमेरु पर्वत को नाभि के समान धारण
करने वाला, गोलाकार तथा एक लाख योजन लम्बा चौड़ा जम्बू द्वीप है । १०-इस जम्बू द्वीप में भरत, हैमवत, हरि, विदेह, रम्यक, हैरण्यवत, और
ऐरावत यह सात क्षेत्र हैं ।। ११--उन सात क्षेत्रों का विभाग करने वाले, पूर्व से पश्चिम तक लंबे-हिमवान्, ___ महाहिमवान्, निषध, नील, रुक्मी और शिखरी यह छह क्षेत्रों को धारण
करने वाले अर्थात् वर्षधर पर्वत हैं। १२–हिमवान पवत सुवर्णमय अर्थात् पीतवर्ण का है, महाहिमवान् सफेद चांदो
के समान रंग वाला है, निषध पर्वत ताये हुए सुवर्ण के समान है, नील पर्वत वैडूर्यमय अर्थात् मोर के कंठ के समान नीले रंग का है, रुक्मी पर्वत चांदी के समान श्वेत वर्ण है और छटा शिखरी पर्वत सुवर्ण
के समान पीत वर्ण का है । १३–उनके पसवाड़े नाना प्रकार के रंग तथा प्रभा वाली मणियों से चित्रित हो रहे
हैं। वह ऊपर, नीचे और मध्य में एक से लम्बे चौड़े-दीवार के समान हैं। १४-उन छहों पर्वतों के ऊपर क्रम से निम्नलिखित छै हद हैं पद्म, महापद्म,
तिगिंछ, केसरि, महापुण्डरीक और पुण्डरीक । १५–इनमें से पहला पद्म सरोवर पूर्व से पश्चिम तक एक सहस्र योजन
लम्बा और उत्तर से दक्षिण तक पांच सौ योजन चौड़ा है । १६-वह पद्म सरोवर दश योजन गहरा है।। १७-उस पद्मद के बीच में एक योजन का लंबा चौड़ा एक कमल है। १८-इस प्रथम सरोवर और कमल से अगले २ तालाब और कमल
[तीसरे तक] दुगुने हैं।