Book Title: Tattvartha Sutra
Author(s): Umaswati, Umaswami, 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 45
________________ मिथ्योपदेशरहोभ्याख्यानकूटलेख क्रियान्यासापहारसाकारमंत्रभेदाः।।२६।। मिथ्या उपदेश, रहस्यों का प्रकट करना; झूठे खत स्आम्प वगैरह लिखना, धरोहर का हर लेना, साकार मंत्र भेद (मुँह आदि की चेस्टा से अभिप्राय जानकर उसको प्रकट करना) ये सत्याणुव्रत के पाँच अतिचार हैं। स्तेनप्रयोगतदाहृतादानविरुद्धराज्यातिक्रमहीनाधि कमानोन्मान प्रतिरूपकव्यवहारा:।।२७।। चोरी करने का उपाय बताना, चोरी की वस्तु ग्रहण करना, राजा की आज्ञा का लोप करके विरुद्ध चलना, लेने देने में बाट हीनाधिक रखना और अच्छी बुरी वस्तु मिला कर बेचना ये पाँच अस्तेयव्रत के अतीचार हैं। परविवाहकरणत्वरिकापरिगृहीतापरिगृहीता गमनानंगक्रीड़ामतीव्राभिनिवेशा:।।२८।। दूसरों के विवाह कराना, दूसरे की विवाही हुई व्यभिचारणी स्त्री के यहाँ आना जाना, वेश्यादि व्यभिचारणी स्त्रियों के साथ लेन देन वार्तालाप आदि रखना कामसेवन के अंगो को छोड़कर अन्य अंगो से क्रीड़ा करना, अपनी स्त्री में काम सेवन की अतयन्त अभिलाषा रखना ये पाँच ब्रह्मचर्य व्रत के अतीचार क्षेत्रवास्तुहिरण्यसुवर्णधनधान्य दासीदास कुप्यप्रमाणातिक्रमाः।।२९।। क्षेत्रवास्तु, चाँदी सुवर्ण दासी दास और (कुप्य तांवा पीतल आदि धातु के वर्तन) इसके परिमाण का उल्लंघन करना ये पाँच परिग्रह परिमाण व्रत के अतीचार है।

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