________________
अध्याय - ८
सद्वेद्यशुभायुर्नामगोत्राणि पुण्यम् ॥२५॥
[सद्वेद्यशुभायुर्नामगोत्राणि] साता वेदनीय, शुभ आयु, शुभ नाम और शुभ गोत्र [ पुण्यम् ] ये पुण्य-प्रकृतियाँ हैं।
The good variety of feeling-producing karmas, and the auspicious life, name, and status-determining karmas constitute merit (punya).
अतोऽन्यत्पापम् ॥२६॥
[अतःअन्यत् ] इन पुण्य-प्रकृतियों से अन्य अर्थात् असाता वेदनीय, अशुभ आयु, अशुभ नाम और अशुभ गोत्र [ पापम् ] ये पाप-प्रकृतियाँ हैं।
The remaining varieties of karma constitute demerit.
॥ इति तत्त्वार्थाधिगमे मोक्षशास्त्रे अष्टमोऽध्यायः ॥
125