Book Title: Tattvagyan Vivechika Part 02
Author(s): Kalpana Jain
Publisher: A B Jain Yuva Federation

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Page 4
________________ प्रकाशकीय 'वचनामृत वीतराग के, परम शान्त रस मूल। औषधि हैं भवरोग के, कायर को प्रतिकूल ॥' अ.भा. जैन युवा फैडरेशन शाखा उस्मानपुर दिल्ली को आ.बा.ब्र. कल्पना बहिन द्वारा रचित बालबोध विवेचिका और वीतराग-विज्ञान विवेचिका के प्रकाशन का पूर्व से ही गौरव प्राप्त है। अब पुन: तत्त्वज्ञान विवेचिका भाग दो को प्रकाशित करने का गौरव प्राप्त हुआ है। इस मंगल कार्य में सहभागिता-हेतु यह फैडरेशन परिवार अपने अहो भाग्य का अनुभव कर रहा है। ___ आज की इस नयज्ञान-विहीन अहंकारिक दुनिया में किसी को निश्चय का पक्ष है तो कोई बाह्य क्रियाकाण्ड में उलझ रहा है, कुछ पुण्य को मोक्षमार्ग मानते हैं तो कुछ मोक्षमार्ग में इसकी विद्यमानता को भी स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं ; कोई निमित्त को ही अपने समस्त कार्यों का जिम्मेदार मानते हैं तो कुछ मात्र उपादान के पक्ष में ही जकड़ रहे हैं। सरल, सुबोध प्रश्नोत्तर शैली द्वारा इन सभी एकान्तों का निराकरण करते हुए इस विवेचिका में वस्तु-स्वरूप का यथार्थ विवेचन कर आत्मोन्मुखी वृत्ति पूर्वक तत्त्वविचार के माध्यम से आत्मानुभूति की प्रक्रिया विवेचित है; कर्तृत्व के अहंकार को नष्ट करनेवाले षट्कारकों की विवेचना पूर्वक अपनी भूमिका का, सच्चे देव-गुरु, सात तत्त्वादि का यथार्थ निर्णय करने के लिए इन चतुर्दश गुणस्थान की विशद विवेचना की गई है। सर्वोदय तीर्थ, सामान्य सर्वज्ञ सिद्धि, विशेष सर्वज्ञ सिद्धि, पारस्परिक अन्तर वाले प्रकरण तो स्वाध्यायिओं के लिए विशेष उपयोगी हैं ही। ___ इन सभी को समझने-समझाने के लिए यह फैडरेशन दैनिक स्वाध्याय, शिक्षण एवं संस्कार शिविर, प्रवचन, साहित्य प्रकाशन आदि के माध्यम से वीतरागी तत्त्वज्ञान के प्रचार-प्रसार में संलग्न है। जैनधर्म की प्रभावना हो, सम्पूर्ण विश्व में जिनवाणी का प्रचार-प्रसार हो, आर्ष-परम्परा की रक्षा हो, जिन शासन सतत सर्वत्र संचालित रहे, प्रत्येक प्राणी जिनवचनामृत का रसास्वादन कर अतीन्द्रिय, निराकुल अव्याबाधमय शाश्वत सुख को प्राप्त हो - इस मंगल-भावना के साथ... २८ अक्टूबर २००८ ___आपकी, हमारी, सबकी २५३५वाँ वीर निर्वाण दिवस/ अखिल भारतीय जैन युवा फैडरेशन शाखा दीपावली सी-९९, न्यू उस्मानपुर, दिल्ली-११००५३ प्रधान : प्रवीण जैन मंत्री : ऋषभ शास्त्री ०९८१००६४२०५ ०९८१०४८७४७१

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