Book Title: Tattvabindu Author(s): Adhyatma Gyan Prasarak Mandal Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal View full book textPage 6
________________ श्रीजी वगेरे तथा श्राविकाओमां शेठाणी.गंगाबेन,तथा चंचळबेन तथा शेठ. लालभाइ दलपतभाइनी पुत्री माणेकबेन तथा शेठाणी. गंगावेननी दीकरीनीपुत्री सरस्वतिबेन वगेरे हतां श्रोतानीमंडली सुज्ञ होवाथी विशेषावश्यक वांचतां सर्वने आनंद थतो हतो. अने ते समये . उपयोगी जे विषयो जणाया हता. ते लखी लीधा हता. विशेषावश्यक काशी छपायछे तेथी विशेषतः अनुक्रमे सर्व विषयोनो उतारोकों नथी.कोइ उपयोगी विषयोने ध्यानमा आवतां अत्र दाखल कर्याछे. तेमां जे कंइ जिनाज्ञा विरुद्ध होय तो सज्जनो सुधारशो. ग्रंथनी शुद्धि करशो. प्रसंग हशे तो तत्त्वबिंदुनो द्वितीयभाग प्रसंगे लखाशे तो छपाववामां आवशे. आ ग्रन्थ तथा अन्य ग्रन्थो छपाववामां अमदावादना श्रावक वर्गमा अग्रगण्य प्रसिद्ध शेठ दलपतभाइ भगुभाइना पुत्र शेठ मणिभाइ दलपतभाइ, तथा शेठ जगाभाइ दलपतभाइ बी. ए. ए धनथी सारी रीते स्हाय करीछे, माटे ज्ञानक्षेत्रनी उन्नति अर्थ धन व्यय करवायी तेमने धन्यवाद घटेछे. ज्ञानना रसिया श्रावक गृहस्थो धन वगेरेथी जिनशासनी उन्नति करी प्रतिदिन लक्षादि धन्यवादोने पात्र थाओ. तेमना आत्मानी उन्नति थाओ. ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः मुकाम. अमदावाद झवेरी वाडो. आंबली पोळनो उपाश्रय. सं. १९६६ मागसर शुदी ५ शुक्रवार. लि. मुनि. बुद्धिसागर.Page Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 ... 202