Book Title: Tattva Bindu Author(s): Buddhisagar Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal View full book textPage 4
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तत्त्वबिन्ध ग्रन्थः किंचिल्लेख्योद्देश. आर्यावर्तमां आजथी २४३६ वर्ष उपर चोवीशमा तीर्थकर श्री वर्धमानप्रभु ( महावीरप्रभु) विचरता हता. तत्समयमा अनेक भन्यजीवो सर्वज्ञ प्रभुनां वचनो सांभळी कृतार्थ थता हता. हालमा श्रीवीरमभुना वचनोनो समावेश मोटा भागे पिस्तालीश आगममा तथा पूर्वाचार्योरचित ग्रंथोमां थायछे.श्रीवीरप्रभुना समयमा पदार्थो स्वरूप जेवु उपदेशातुं हतुं तेवु स्वरूप हाल पण तेमना सिद्धान्तो वांचतां समजायचे. हालमा विद्यमान जिनागमोने यांचतां वस्तुनुं यथार्थ भान थायछे. सिद्धांतोर्नु मनन, स्मरण करतां ज्ञानावरणीय कर्मनी क्षयोपशम थायछे. प्रभुनी वाणीनु अगाध स्वरूपछे. जेम जेम वा. चीए छीए. मनन करीए छीए, तेम तेम तेमांथी कंडक नईं स्वरूप समजायछे. जिनागमोठे वाचन करतां कोइ कोइ विषय संबंधी नोटबुक करी सर्व विषय संग्रही तेनो आ विचार बिंदुग्रंथ बनाव्योछे, सिद्धांतमा कहेला तखोना स्वरूपनी आगळ आ ग्रंथबिक समानछे माटे तत्वविकु एवं सार्थक नाम आप्युठे. आ तवबिंदुमो कोई कोई स्थळे जे जे विषयों लख्याछे, तेमाँ ग्रंथोनी साक्षीओ आपवामां आवीछे. सम्मतितर्क, विशेषावश्यक For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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