Book Title: Tamso ma Jyotirgamayo
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 7
________________ आपके चार पुत्रियाँ और एक पुत्र है । सौ० ज्योति, सौ. रत्नप्रभा, सौ. कल्पना और कुमारी शर्मिला तथा सुपुत्र संदीपकुमार है। माता-पिता के धार्मिक निर्मल संस्कार पुत्र और पुत्रियों में पल्लवित और पुष्पित है। सौ० ताराबाई कुल की शृंगार थी, परिवार की आधार थी। अनेक कमनीय कल्पनाएं मन में संजो रखी थी पर कुछ समय पूर्व किडनी की व्याधि से संत्रस्त हो गई तब छल्लाणी जी ने पूना और बम्बई में रहकर आधुनिकतम वैज्ञानिक चिकित्सा करवाई, वे स्वस्थ भी हो गई पर यकायक हार्टअटैक होने से बम्बई हॉस्पीटल में ही दिनांक १० मई, १९६० गुरुवार को रात्रि में स्वर्गस्थ हो गईं। उनके स्वर्गवास से पूरे परिवार को भारी आघात लगा। पर कर काल के सामने किसका जोर चला है ? श्री छल्लानी जी ने श्रीमती ताराबाई की पुण्य स्मृति में कमलनयन बजाज हॉस्पीटल में तथा दक्षिण केसरी मुनि मिश्रीलाल होम्योपेथिक मेडीकल कालेज में तथा तपस्वीरत्न गुरु मिश्रीलाल जी महाराज के अमृत महोत्सव समिति द्वारा संस्थापित कैंसर हॉस्पीटल में उदारता के साथ बड़ी दानराशि प्रदान की है। परम श्रद्धेय उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि जी महाराज, उपाचार्य श्री देवेन्द्र मुनि जी महाराज का औरंगाबाद में जब पदार्पण हुआ तब आपने जिस उत्साह के साथ सामाजिक, धार्मिक कार्यों में भाग लिया वह उल्लेखनीय है । औरंगाबाद के सन्निकट बालज और करमाड़ आदि के स्थानकों के निर्माण में आपका अपूर्व योगदान रहा है। श्रद्धेय उपाध्यायश्री और उपाचार्यश्री के प्रति आपकी तथा आपके परिवार की गहरी निष्ठा है। श्रद्धेय उपाचार्य श्री के प्रस्तुत ग्रन्थ का प्रकाशन सौ० स्व० ताराबाई छल्लानी की पुण्य स्मृति में श्रीमान् सुवालाल जी साहब संदीपकुमार जी छल्लानी के द्वारा हो रहा है, यह उस धर्ममूर्ति श्राविका के प्रति सच्ची सद्भावना का द्योतक है । आपकी धार्मिक, सामाजिक और अध्यात्मिक प्रगति दिन-दुगुनी और रात-चौगुनी होती रहे यही हमारी हार्दिक मंगल मनीषा है। चुन्नीलाल धर्मावत कोषाध्यक्ष श्री तारक गुरु जैन ग्रन्थालय, उदयपुर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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