Book Title: Swami Samantbhadra
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Jain Granth Ratnakar Karyalay

View full book text
Previous | Next

Page 253
________________ परिशिष्ट । इतिहासके 'समय-निर्णय' नामक प्रकरणमें चर्चित कई विष योंके सम्बंधमें हमें बादको कुछ नई बातें मालूम हुई हैं, जिन्हें पाठकोंकी अनुभववृद्धि और उनके तद्विषयक विचारों में सहायता पहुँचानेके लिये यहाँपर दे देना उचित और आवश्यक जान पड़ता है। इसी लिये, इस परिशिष्टकी योजना-द्वारा, नीचे उसका प्रयत्न किया जाता है: (१) विबुध श्रीधरके 'श्रुतावतार' * से मालूम होता है कि कुन्दकुन्दाचार्यने 'षट्खण्डागम' के प्रथम तीन खण्डों पर कोई टीका नहीं लिखी; उनके नामसे इन्द्रनन्दीने, अपने 'श्रुतावतार में, १२ हजार श्लोकपरिमाणवाली जिस टीका अथवा 'परिकर्म' नामक भाष्यका उल्लेख किया है ( इतिहास पृ० १६०, १६१, १६३ फु० नो० १८१ ) वह उनके शिष्य 'कुन्दकीर्ति' की रचना है। यथा__“इति सूरिपरंपरया द्विविधसिद्धान्तो व्रजन् मुनीन्द्रकुन्दकुन्दाचार्यसमीपे सिद्धान्तं ज्ञात्वा कुन्दकीर्तिनामा षट्खंडानां मध्ये प्रथमत्रिखंडानां द्वादशसहस्रप्रमितं परिकर्म नाम शास्त्रं करिष्यति ।" परन्तु इस उल्लेखसे इतना जरूर पाया जाता है कि 'षट्खंडागम' की रचना कुन्दकुन्दसे पहले हो गई थी। वे आचार्य परम्परासे दोनों ___ * यह 'श्रुतावतार' विबुध श्रीधरके 'पंचाधिकार' नामक शास्त्रका एक प्रकरण ( चौथा परिच्छेद ) है और माणिकचंद्र-ग्रंथमालाके २१ वें अन्य सिद्धान्तसारादिसंग्रह' में प्रकाशित हो चुका है।

Loading...

Page Navigation
1 ... 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281