Book Title: Swami Samantbhadra
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Jain Granth Ratnakar Karyalay

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Page 264
________________ पंकि पृष्ठ १४२ १५८ १४ अशुद्ध जैनेन्दसंज्ञ शिलालेखमें गृखपिच्छः सं. ९४ दोनों जैनेन्द्रसंज्ञ शिलालेखोंमें गृधपिच्छः सं० ४९ उन दोनों १६१ पोगे मिथ्या वह मिथ्या कौण्डकुन्दान्वय कोण्डकुन्दान्वय अभयदि अमायणदि उल्लेख उल्लेख भी पवयणभक्ति पवयणभत्ति १३३ १२३ भद्रबाहुस्स . भावाहुस्स १७ से. १७ से श्रुतावतार इन्द्रनन्दि-श्रुतावतार योगे १९४ उदपिसिदर उदयिसिदर भद्रबाहुका भद्रबाहु द्वितीयका नं. ३५० नं.३५ २२० प्रस्तावना प्रकरण प्रस्ताव या प्रकरण २३२ श्रीमत्स्वामीसमंतभव श्रीमत्स्वामिसमंतमा सिद्धप्प सिद्धय्य विरचयत। विरचयता माहात्म्यमतीन्दियं माहात्म्यमतीन्द्रियं किमति किमिति नोट-विन्दु-विसर्ग और विराम विहादिकी कुछ दूसरी ऐसी साधारण बहुदियोंको यहाँ देनेकी जरूरत नहीं समझी गई जो पढ़ते समय सहब ही में माधम पर जाती हैं। २१८

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