Book Title: Swadhyay Dohanam
Author(s): Kanakvijay Muni
Publisher: Vijaydansuri Granthmala

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Page 14
________________ एक अवसरे ज्यारे श्रीत्रिषष्टिशलाकापुरुष चरित ग्रन्थy पठन-पाठन थयु, त्यारे तेमां आवतां अनेक प्रभुप्रार्थनारूप स्तवो वांचतां ए भावना थइ, के-' आवां आवां प्रार्थनारूप तेमज गुणस्तवादिरूप स्वाध्यायनी रचना-कृतिओनो एकाद अलग संग्रह थाय तो केवू सारुं ?" वी० सं० २४६५ वि० सं० १९९५ नी सालन अषाढ चातुर्मास, पूजनीय परमगुरुदेवोनी आज्ञा मूजब, मुंबइ लालबाग (भूलेश्वर) खाते थतां, मारी पूर्वोक्त भावनाने मूर्तरूप आपनारा अनुकूल संयोगो मने सांपड्या, जेना फल परिपाक स्वरूप, आ रीतिये प्रकाशनने पामनार आ ग्रन्थ छे. आ प्रसंगे एक स्पष्टता करी दउ,-संपादन के संशोधन कार्यने अंगेनो मने तेवा प्रकारनो अनुभव नथी. प्रस्तुत ग्रन्थ- संपादन कार्य में प्रथम ज हाथ धरेल छे. संपादनसंशोधन विषयनो मारो आ अनुभव नवो छे. कोइपण ग्रन्थसंशोधन विगेरेनुं कार्य ए अति अगत्य नी जुवाबदारी भरेलु होय छे. खूब तकेदारी, सतत अप्रमत्तशीलता तेमज बहु श्रुतता ए त्रणेयना सुमेळे ग्रन्थ- संपादनकार्य सफल अने संतोषप्रद बनी शके छे.

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