Book Title: Swadhyay Dohanam
Author(s): Kanakvijay Muni
Publisher: Vijaydansuri Granthmala

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Page 12
________________ आ मूजबना त्रणेय स्वाध्यायोमा प्रार्थना नामनो स्वाध्याय ए, एकान्त हितवत्सल परमउपकारी गुणवान पुरुषोनी सेवामां, विनीतभावे आर्द्रतापूर्वकनी आजीजीसमान होय छे. आवा प्रकारनी प्रार्थना बेशक अभिलाषनुं एक रूपान्तर गणाय, छतांये निराशंसभावे श्रीवीतराग परमात्मानी सेवामा रजू कराती आ प्रार्थनाओ आत्मकल्याणनी प्राप्तिमा अलबत परम सहायक छे. गुणवान पुरुषोना गुणोनी स्तवनारूप स्वाध्यायधर्मनो बीजो प्रकार छे. आराध्य पुरुषोना गुणोनी स्तुति द्वाराये, पोताना दुष्कृतोनी निन्दा-गो, पण आ बीजा प्रकारना स्वाध्यायमां आवी जाय छे, पोतानी अधमतानुं पोताने भान थवा साथे, आराध्य पुरुषोनी उत्तमदशानी आछी पातळी स्मृति आ स्वाध्यायथी साधक आत्माने थाय छे, आना योगे साधक आत्माओ पोतानी साधनाने मार्गे खूबज सावध अने खबरदार बने छे. एकंदरे आत्मानी जागृतिने सारु आवा प्रकारना स्वाध्यायनी खास अगत्यता छे. ____ ज्यारे त्रीजा प्रकारनो स्वाध्याय, श्रीजिनशासनना परमरहस्यभूत तत्त्वोनी परिशीलनारूप छे, आवा प्रकारनी परिशीलनाना योगे हेय अने उपादेय पदार्थोनुं ज्ञान,

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