Book Title: Surya Siddhant
Author(s): Baldevprasad Mishra
Publisher: Gangavishnu Krishnadas

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Page 254
________________ ( २४५ ) उदाहरणम् । यह रविमध्य में स्वदेश की पूर्वदिशामें होनेसे वियोग करने से ११/२९ | १३/५५ / ९ ये हुए । मन्दोच्चानयन । ( १ अ० ५४ श्लो० ) कृतयुग के शेष में शनिका मन्दोच्च निरूपणकरना । १९५३७२०००० वर्ष संख्याको, शनिके मन्दोच्च कल्पभगण ३९ से गुणा करनेपर ७६१९५०८०००० हुए । इसको कल्पमान से भाग करनेपर १७ भगण राश्यादि ७ । १९ । ३५ । २४ हुई । गतिकी अल्पताके वशसे देशान्तरका संस्कार मध्यसाधन और चन्द्रमाके मन्दोच्च साधन विना निष्प्रयोजन है । ४३२००००००० पातमध्यानयन । शाके १८१७ के आरम्भ में शनिका पातानयन है १९५५८८४९९६ वर्षको भगण ६६२ से गुणकरके ४३२००००००० से भाग करनेपर २९९।२१ । ३८ । १६ भगणादि शनिके पातमध्य हुए । २८ से मन्द "2 रविस्फुटानयन । ( २ अ० ४६ श्लो० ) रविमन्दोच २ । १७ । १७ । रविमध्य ११ । २९ । १५ । ४८ अलग करने से २ । १८ । १ । ४० केन्द्र हुआ । केन्द्रविषमपादमें स्थित ( २ अ० ३४ श्लो० ) हुआ । एव गतकेन्द्रही भुज है । केन्द्रको कलाकरके २२५ से भाग करके २० भागफलके अनुसार ज्या करनेसे ३३२९ हुए । भानावशिष्टसे ज्यान्तर ५१ को गुणाकरके २२५ से भाग करनेपर लव्ध ४१ कला हुआ । यह ज्या ३३२९ के साथ मिलने से ३३६२ मन्दभुज्या हुई । सूर्य की दो मन्दपरिधि अन्तर २० कला है । इसको ज्या ३३६२ से गुणकरके त्रिज्या ३४३८ से भाग करनेपर १९ कला ३४ विकला हुआ। युग्मअन्तमें मन्दपाधि १४ | ० से १९ कला ३४ विकला अलग करदेनेसे १३।४०।२६ स्फुट परिधि हुई । इसको ज्यासे गुणकरके ३६० से भाग करनेपर २ । ७ । ३६ अंशादि हुए । यही मन्दभुजज्या फल है । इसके धनुकरनेसे अंश २ । ७ । ३६ वही हुए । मन्दकेन्द्र मेषादिकेन्द्र होनेके कारण रविमध्य में मिलानेसे ० । १ । २३ । २४ । राश्यादि रवि स्फुट हुआ । रविभुजमान्द्यफल १२८ कला रविस्पष्ट भुक्तिसे गुणकर के २१६०० से भाग करनेपर २ विकला हुई । सो रविस्फुटमें मान्यफलका योग होनेसे.. योग करनेपर ०।१।२३।२६ मध्यरात्रिक भुज संस्कृत रवि स्फुट हुआ । शनिस्फुटसाधन | शनिमध्य ५।२९।७।८ शनिशीघ्र ११ । २९ । १५ ४२ से वियोग करनेपर शेष ६ । ० । ८ । ३४ शीघ्रकेन्द्र हुआ । केन्द्रविषमपादमें स्थित है । गतकला ८ । ३४ भुज इसकी ज्या और कलादि ८ । ३४ । गम्यकला कोटीकला. तिसको २२५ से भाग करके भागफलके अनुसार ज्यानिर्देश करके शेष ज्यान्तर से गुणाकरके २२५ से भाग करनेपर लब्धज्यामें संस्कार करनेसे ३४३७ । ४९ ।, कोटीज्या हुई । भुजज्याको त्रिज्यासे भागकरनेपर ९ विकला हुई । स्फुट शीघ्र Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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