Book Title: Surya Siddhant
Author(s): Baldevprasad Mishra
Publisher: Gangavishnu Krishnadas

View full book text
Previous | Next

Page 257
________________ (२४८) सूर्यसिद्धान्तःइसकी भुजज्या ३०४ को परमविक्षेप २७० से गुणाकरके त्रिज्या ३४३८ से भाग करनेपर २४ चन्द्र स्पष्ट विक्षेप हुआ । छाया व्यासकला ९१ और चंद्र व्यासकला ३५ एकत्र करके आधे करनेसे ६३ हुए। इसके वर्ग ३९६९ से चन्द्र विक्षेपवर्ग ५७६ अलग करके मूल निकालनेसे ५८ हुए । इसको ६० से गुणाकरके सूर्यचन्द्रमाके गत्यन्तर८०० से भाग करनेपर दण्ड ४ । २२ हुई । यही मध्यस्थित्यर्द्ध है । इस समयके चन्द्रस्फुट ० । १९ । ८ से राहुस्फुट अलग करदेनेपर ०।४।२ हुआ इसकी भुजज्या २४२ है। इसको परमविक्षेप २७० से गुणाकरके ३४३८ त्रिज्यासे भाग करनेपर १९ यह हुआ सो. वग मान योगाई वर्गसे अलग करनेपर ३६०६ हुआ। इसके मूल ६० को ६० से गुणकरके गत्यंतरसे भाग करनेपर ४ । ३० स्फुट स्थित्यर्द्ध हुआ । पूर्णिमाके अन्त. में वियोग और योग करनेसे स्पर्श और मोक्ष स्थिर हुआ। चरानयन । वृषका चर निरूपण करना । (२०६१ श्लो. ) राशि अर्थात् ३६०० कलाकी ज्या २९७८ है । इसको परम अपक्रम १३९७ से गुणा करके त्रिज्या ३४३८ से भाग करनेपर १२१५ क्रान्तिज्या हुई । १२१५ कान्तिज्याके अनुसार उत्क्रमज्याको ग्रहण करनेसे २२१ ये हुए । त्रिच्या ३४३८ से उत्क्रमज्या २२१ को अलग करनेपर ३२१७ दिन व्यास हुआ। क्रान्तिज्या १२१५ को विषुवच्छाया ५ से गुणकरके गुणन फलको १२ से भाग दे भागफलको त्रिज्या ३४३८ से गुणा करके ३२१७ दिन व्याससे भाग करनेपर ५३७ प्राण चर नियत हुआ । इससे मेषका चर प्राण अलग करनेपर वृषकी चर खण्डा होगी। लम्बन (५ १०८ श्लो०) ५ । १२ दशम लग्न । ३ । ८ । रविस्पष्ट । दशम लग्नकी क्रान्तिज्या ४३० और धनु ४३० कला । हुआ अक्षांश (अं० २२ ॥३०) से वियोगकरनेपर ९२० कला नत हुई । इसको भुजच्या ९१० और कोटीज्या ३३१२ हुई । एक राशिके ज्या वर्ग २९२४९६१ कोटिज्यासे भाग करनेपर ८९२ छेद हुए । दशम लग्न और रविस्पष्टान्तरित ज्या ३०९० को छेदसे भाग करने पर दण्ड ३ । २८ लम्बन होताहै । ९१० भुजज्याको ७० से भागकरने पर १३ नति होती है। भजज्याखण्ड। अंश ० राशिज्या १ राशिज्या २राशिज्या ०१७४५ ५१५०४ ८७४६२ ०३४९० ५२९९२ ८८२९५ ०५२३४ ५४४६४ ::०९१०१. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 255 256 257 258 259 260 261 262