Book Title: Sursundari Chariyam
Author(s): Dhaneshwarmuni, Mahayashashreeji
Publisher: Omkar Gyanmandir Surat

Previous | Next

Page 17
________________ १९० पृष्ठाङ्कः विषय १८१ मातुलप्रभञ्जनस्यदीक्षा । ज्वलनप्रभादिराज्यप्राप्तिप्रभृतिवर्णनम् । १८२ ज्वलनप्रभस्य निजभ्रात्रा युद्धम् । ज्वलनप्रभपराजयश्वसुरनगरे च गमनम् । चित्रगतिज्वलनप्रभयोः पुरबहिर्गमनम् । १८३ प्रभञ्जनमुनिकेवलोत्पत्ति-देशनाश्रवण-राज्यावाप्तिप्रश्नोत्तरादि १८७ द्वयोर्विद्याराधनाय गमनम् । विधिपूर्वमारम्भः ।। १८८ तत्र निजभगिनी कनकप्रभेणोपद्रूयमाणां द्रष्टवा चित्रगतेस्तत्पृष्ठे धावनम् चित्रगति-विमोहनम् - दमघोष-प्रेषणम् १९१ ज्वलनप्रभस्य रोहिणीविद्यासिद्धिः । चित्रगतिस्वास्थ्यम् १९२ चित्रगते: स्वस्थाने प्रस्थानम् ।। १९५ मार्गे हस्तिकृतोपद्रवात् कन्यायाः परित्राणम् । १९७ कन्याचित्रगत्योर्मिथ: स्नेट-मुद्रार्पण-स्वस्थानगमनादि २०० चित्रगतेः कन्यापुरागमन - तत्पुरोद्धसताविलोकनकारणपृच्छा । २०३ कनकप्रभराज्ञः प्रमादाजिनभवनोल्लङ्घन-धरणेन्द्रसमयलङ्घनात् विद्याविनाश-पलायन-पुरलोकान्यान्यनगरगमनादि वृतान्तश्रवणम् २०६ चित्रगतेर्विस्मय-विरहदुःख-कन्यागवेषणान्यपुरभ्रमणम् २०९ चित्रवेगपाशच्छेदः । २११ कनकमालाप्राप्त्युपदर्शनम् २१३ - २५४ षष्ठः परिच्छेदः २१३ मदनमदिरे चित्रवेगचित्रगत्योः प्रच्छन्नतया गमनम् २१४ कनकमालायास्तत्रगमनम् २१५ मकरध्वजसोपालम्भ-पाशबन्धनम् २१८ चित्रवेगपाशमोचनम् २१९ चित्रगतेः कनकमालावेषधारणम् - मदनमन्दिरादिनिर्गमनादि २२० चित्रवेग-कनकमालापरस्परवार्तालापम्-गान्धर्वविधिनापरिणीतं च २२२ कनकमालाचित्रवेगयो रत्नसञ्चयनगराभिमुखं प्रस्थानं च २२३ वर्त्मनि वननिकुञ्ज क्वचन तयोर्विश्रामकरणम् Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 ... 702