Book Title: Sursundari Chariyam Author(s): Dhaneshwarmuni, Mahayashashreeji Publisher: Omkar Gyanmandir SuratPage 18
________________ पृष्ठाङ्कः विषय २२४ वनिनिकुञ्जे स्वस्त्रिया सह चित्रगतेरापतनम् २२५ चतुर्णामपि - मेलन - संभाषणगोष्ठ्यादि २२८ प्रियङ्गुमञ्जर्या नगर- कुल जन्मस्थानादिवृत्तवर्णनम् २३५ प्रियङ्गमञ्जर्या - जातिस्मणोत्पत्तिः २३७ निजपूर्वभवयो र्मनुष्यदेवरूपयो-र्मध्ये वसुमतीस्वरूपस्य मनुष्यभवस्य निरूपणम् २३८ वसुमत्याः पतिधनपतिवणिज अपहरणम् विद्याधरस्याधिष्ठानम् २४० सुदर्शनया तद्विद्याधरस्य कूटताख्यापनम् धृष्टताप्रत्युपालम्भम् २४३ धनपतिजीवत्रिदशप्रकटीभूतम् तत्स्वरूपकथनम् २५० मातापिताभार्यादिकरुणविलापम् - तत्प्रतिबोधनम् २५३ वसुमत्याः प्रवज्याग्रहणम् २५४ देवलोकप्राप्तिः २५५ २९६ सप्तमः परिच्छेदः २५५ देवच्यवन देवीविलापः । २६० संख्याश्वासनम् - शाश्वतजिनभवनयात्रा - केवलीपार्श्वेगमनम् २६२ देशनाश्रवणम् - दयितोत्पत्तिप्रश्नोत्तरम् । २६४ प्रियङ्गुमञ्जर्या भवोत्पत्ति - चित्रगतिना सह दर्शनम् । २६९ केवलीवचनप्रतीतिः जनकचिन्तामुक्तिः । २७८ कनकमालाविवाह- प्रियङ्गमञ्जरीगमनम् । २८१ कनकमालारूपश्चित्रगतिसमागमः । २८५ चित्रगति- प्रियङ्गमञ्जर्यो:- प्रयाणकम्, मार्गे देहशिथिलता । २८६ वननिकुञ्जेऽवतरणम् - स्वस्थशरीरम् । २८७ वननिकुञ्जात् सस्त्रीकचित्रगतेः सुरनन्दननगरे प्रस्थानम् । २९० कनकमालाचित्रवेगयोरपि ततः स्थानादुत्पतनम् । २९१ वर्त्मनि देवदर्शन - संभाषण मणिसमर्पणम् - नभोवाहनागमन२९५ निवेदनम् । देवतिरोधानम् Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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