Book Title: Suktmuktavali
Author(s): Bhupendrasuri
Publisher: Bhupendrasuri Jain Sahitya Samiti

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Page 10
________________ पत्र पृष्ठ पंक्ति अशुद्धम् स्वर्गीयम शुद्धम् लोकभाषा चातकगण: प्रदेशिराजवत् शुद्धाशुद्धानिपत्र पृष्ठ पंक्ति शुद्धम् ६ | स्वर्गीयभवनम् लोकै शशिप्रभराजस्य प्रशुद्धम् लोकभाषा चातकगणो प्रदेशिराजवत पित्राः २४ २६ २ । २ ५ शशिप्रभराज्ञः पित्रोः नगर ग्राम गाम नगर . नृन सेवकेन पाण्डवाभिधेन सेवकः पाण्डवाभिधः १० । पार्श्वमागतः पाचभागत: ताववक्ता तावक्ता ववृधाते ववृधाते पार्श्वनाथमभो पार्श्वनाथप्रभोः । सुखईया २१ २ 42 प्यधर्म व्यरमः 55दरणीयः ऽवशिशेष चेदव २ | मपृच्छत् घ्यधैम व्यरमथाः ऽदरणीयः ऽवशिशेप चेदत्रक मपृच्छत mer A सुखा

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