Book Title: Sukta Muktavali
Author(s): Bhupendrasuri, Gulabvijay Upadhyay
Publisher: Bhupendrasuri Jain Sahitya Samiti

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Page 2
________________ सादराजलीगुरुस्तुतिःश्रीराजेन्द्रगुरुजनोपकृतिके लीनो ह्यभून्नौमि यं / राजेन्द्रेण कृतातिधर्ममहिमा ध्यायन्ति यस्मै समे // राजेन्द्रात्तु जनाः स्वधर्मनिरता यस्यैव निर्देशगा। राजेन्द्र गुरुसद्गुणास्तमभवन् तस्माद्भजन्तेऽखिलाः // 1 // सत्कीर्तिरुणार्जितातिविमला ज्ञानक्रियाभ्यां बुधाः / सञ्जित्याखिलवादिनश्च समितौ विस्तारितः सजयः // सच्छास्त्रैः स्वकृतैर्विदामुपकृतं राजेन्द्रकोशादिकै श्चक्रे चैवमनेककार्यमवनौ राजेन्द्रसूरीश्वरः // 2 // मुद्रका-शेठ देवचंद दामजी, आनंद प्रेम-भावनगर.

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