Book Title: Sukta Muktavali
Author(s): Bhupendrasuri, Gulabvijay Upadhyay
Publisher: Bhupendrasuri Jain Sahitya Samiti
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________________ मुक्तावल्या शुद्धानि अशुद्धम् स्वर्गीयभ. पत्र 23 पृष्ठ पंकि 1 14 शशिप्रभराज्ञः नेव शुद्धाशुद्धानिप्रशुखम् पत्र पृष्ठ पंक्ति शुद्धम् लोकभाषा लोकभाषा 5 | स्वर्गीयभवनम् चातकगण: चातकगणो लोक प्रदेशिराजवत् प्रदेशिराजवत शशिप्रभराजस्य पित्रोः पित्राः 9 2 नैव नगर सेवकेन पाण्डवाभिधेन सेवकः पाण्डवाभिधः 101 प्यधर्म पार्थमागतः पार्श्वभागतः ताववक्ता तावक्ता दरणीयः ववृधाते ववृषाते ऽवशिशेष पार्श्वनाथप्रभो पार्श्वनाथप्रभोः! 15 1 7 चेदव सुखा सुखड़या 21 2 2 मपृच्छत् गाम ग्राम नगर नून नृन 42 2 5...... 11 प्यधैम व्यरमथा: ऽदरणीयः ऽवशिशेप व्यरमः चेदत्रव मपृच्छत

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