Book Title: Sukhi Hone ki Chabi
Author(s): Jayesh Mohanlal Sheth
Publisher: Jayesh Mohanlal Sheth
View full book text
________________
मिच्छामि दुक्कडं! निन्यानवे अतिचार संबंधी कोई भी पाप दोष लगा हो तो अरिहंत, अनंत सिद्ध भगवंतों की साक्षी सह तस्स मिच्छामि दुक्कडं!
दूसरे आवश्यक की आज्ञा! लोगस्स उज्जोयगरे, धम्म तित्थयरे जिणे; अरिहंते कित्तइस्सं, चउवीसं पि केवलि, उसभमजियं च वंदे, संभव मभिनंदणं च सुमइं च; पउमप्पहं सुपासं, जिणं च च्वंदप्पहं वंदे, सुविहिं च पुष्पदंतं, सीयल सिज्जसं-वासुपुजं च; विमलमणंतं च जिणं, धम्म संतिं च; वंदामि कुंथु अरं च मल्लिं, वंदे मुणिसुव्वयं नमिजिणं च; वंदामि रिट्ठनेमि, पासं तह वद्धमाणं च। ओवं मओ अभिथुआ, विहुय रय-मला पहीण जर-मरणा; चउवीसं पि जिणवरा, तित्थयरा में पसीयंतु। कितिय वंदिय महिया, जे ए लोग्गस उत्तमा सिध्धा; आरूग्ग बोहिलाभं, समाहि वर मुत्तम दिंतु, चंदेसु निम्मलयरा, आइच्चेसु अहियं पयासयरा; सागर वर गंभीरा, सिद्धा सिद्धिं मम दिसंतु। ___तीसरे आवश्यक की आज्ञा! इच्छामि खमासमणो! वंदिउं जावणिज्जाए, निसीहियाए अणुजाणह मे मिउग्गहं निसीहिअहोकायं-कायसंफ़ासं खमणिज्जो भे! किलामो अप्पकिलंताणं, बहु सुभेणं भे राइओ (शाम को देवसिओ बोलना) वईक्कतो? जत्ता भे? जवाणिजं च भे? खामेमि खमासमणो! राइये (शामको देवसियाए बोलना) वइक्कम आवस्सियाऐ पडिक्कमामि
सुबह उठकर... * २१

Page Navigation
1 ... 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63