Book Title: Sukhdi Varddhaman Rasoi
Author(s): Samaypragnashreeji
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 3
________________ ७० अनुसन्धान-५५ महिकी दूध तणी खीर रांधी, कीधौ सखरण बहु दही बांधी । भात पछै वड ल्यौ दूध घोली, खांड साकर तस मांहे भेली ॥२२॥ गंगोदक भरी निर्मल पांणी, करौ चलू इम बोलत त्रिशलादे राणी । साहिब के साहिब गुणचंदा, सिद्धारथ कुल उदयो दिणंदा ॥२३॥ भणै गुणै वर्धमान रसोई त्यां घर मंगल नित नित होइ - ईति सुंखडी ॥ C/o. प्रसन्नचन्द्र आराधना भुवन, तलाटी रोड, पालीताणा

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