Book Title: Sukhdi Varddhaman Rasoi
Author(s): Samaypragnashreeji
Publisher: ZZ_Anusandhan

View full book text
Previous | Next

Page 2
________________ मई २०११ बरबर गुलकी सूकी बरैयां, ठांण धरी बेसनकी पटैयां, अर घोले मेरे पीयौ निवाता, जे पीधां हुई अंगै साता ॥८॥ एहौ कंत जिब गइ रे वधाई, उठौ कुमर तुम हुवै रे भुंजाई, वडीवारको भुखौ मेरे लाला, अंगोली गहकै चाल्यौ पाला ॥९॥ कनक थाल रुपा की तवाई, चौकी बैठी परसै माई, बरबर घेवर मीष्ट जलेबी, अर फीना फीनी मरलेबी ॥१०॥ दहीवडा दहोवडी नीकी, उपर उजली खांड ज मुंकी । गुजागुंथमाहे छै सजुडी, हेसमी इंद्रव खाजा पुडी ॥११॥ खुची(?) मैदाकी घीमै चकोली, सेव गंठ्या सेव सुंहाली धकोली, खुरमां सीरौ सकरपारा पुरा गुणांगुलका गुलगुला रुडा ॥१२॥ साकोली थापडा पापड मुंरकी, अर लापसी परुसी गुलकी, सेवलडु मोतीलडु अ कसारा, नगद मगद बहुतविसवारा ॥१३॥ ए पकवांन परुस्या आंणी, जीमो मेरे ललणां म करौ कांनी, भात उजला रायभोगसाल, मुग मंड्योवर छोली दाल ॥१४॥ माय परुसै घी मोटी धारा, कांजीवडा मांहै बहुतविसवारा । बिहु बिहु पापड एक एक जूडी, कैर कर्मदा नै राय डौडी ॥१५॥ कैर पखोडी फलोली तलोली, काचर पेठ पीठां की तलोडी । भुजीवडां छाछवडी अचकोडी, कुरवडी मुंगोडी कठोडी ॥१६॥ कहै कविजन मांहै घाल्यौ आदौ, जीमौ कुंअर जीवण ससवादौ । अर मेली कचनारकी डोडी, वणी साक जीमणकी जोडी ॥१७॥ इम पलेव धौँ भरभेली, जीरौ मरी तस मांहै मेली ।। पोच्या लालरीको कीयौ खाटौ, माहै मेल्यौ चणांको आटौ ॥१८॥ घाली आंमला कीयौ रहडको, जि कोइ जीमतां हुइ सरडकौ । भीगा चणा वघार्या वटला, कीया सूर्ण बेसनकी कतला ॥१९॥ कडूइआ पड मधरेज करेला, सांगरी कैर करेला मरेला । माय परुसै आछी पोली, ते घृत खांड ज मांहै झकोली ॥२०॥ नीकी हुवै तवाकी रोटी, छंगधरी आछै दल मोटी । थोडा घीसुं करीअक कूनी, खांड एक मा देड अमकुंनी ॥२१॥

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6