Book Title: Sudansana Cariyam
Author(s): Saloni Joshi
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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११४९
णिज्जरा (निर्जरा) - ६९१,
१६०
९६७,
तव (तप) - ८७, ४३३, ९६९, १०२३,
१०२९
तस ( स ) - ८०
तिगुत्ति ( त्रिगुसि ) - १५६१. तित्थयर (तीर्थंकर) - ९९८. तिविहदान (त्रिविध दान) - ९७० तिरिय ( तिर्यंच) - ३८, ६४, १८६. तेयकाय (तेजकाय) -६३६. थुई (स्तुति) - १३३३.
थावर/ थीरजीवा (स्थावर) - ८०, ६८३, ६८४. थिरीकरण (स्थिरीकरण) - १५४२.
थेर ( स्थविर ) - १५४०.
दंसण (दर्शन) - ९९२, ११६५, ११६६.
११६३,
दंसणावरणीय (कम्म) - दर्शनावरणीय
कर्म) -८३
दंसण मोहणीयकम्म - ( दर्शन
कर्म) ८४
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मोहनीय
दव्वत्थव (द्रव्यस्तव) - ११९३ दसविह दाण (दशविध - दान) - १००८
दीसि परिमाण (दिशा-परिमाण ) - ६७९
देसपमाण (देश-प्रमाण ) - ६८०. धम्मलाह ( धर्मलाभ ) - ७०.
नवकार ( नवकार) - ५७५, ५७६, ११४२, ११४३, ११४५६३०.
नवतत्त (नवतत्त्व) - ६९४
नवबं भगुत्ति (नव- ब्रह्मचर्य गुप्ति)
११६७, ग-१२
निक्कंखा (निकांक्षा) - १५४२.
निच्चल - संमत (निश्चल-सम्यक्त्व) -
८५, १५४३.
निज्जरा (निर्जरा) - ६९२
नियम (नियम) - ११३, ४२९, १२६५. नियाण (निदान) - १६५.
निरुजसिह (निरुजसिखतप) - १३८१. निव्वाण/नेव्वाण (निर्वाण ) - ६६,
५४६, ९७८.
निव्विजिगिच्छा (निर्विचिकित्सा ) -
१५४२.
निव्वेयकरीकहा (निर्वेदकरी - कथा) -
७६, ७७
निव्वेयपर (निर्वेद - पर) - १५३६. निस्संकिय/ निसंक (निशंक) - १५३८,
१५४२, १५४४.
पंचअणुव्वय (पंच- अणुव्रत ) - ६८१,
७०१.
पंच कल्याणक-१२६३.
पंच परमेट्ठि (पंच-परमेष्ठि) - १४३८. पंचनमोकार (पंच- नमस्कार) - ६३७.
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