Book Title: Subodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Author(s): Vinayvijay
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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ने बे साध्वी ने साथे रहे कल्पे नहीं; जो त्यां कोई पांचमो कुल्लक (नानो चेलो) अथवा चेली होय अथवा ते स्थान बीजानो दृष्टिविषय होय एटले बीजा जोर शके तेम होय अथवा बहु छार सहित ते स्थान होय तो साथे रहे कल्पे. तेनो जावार्थ था प्रमाणे बे-एक साधुने एक साध्वी साथे रहे कल्पे नहीं, एक साधुने बे साध्वी साथे रहेQ कल्पे नहीं, बे साधुने एक साध्वी साथे रहेवं कल्पे नहीं तेमज बे साधुने बे साध्वी साथे रहे, कल्पे नहीं. जो वहीं कोइ पण लघाई
चेलो अथवा चेली (पांचमुं) सादी होय तो ( रहे, ) कल्पे . अथवा वरसाद पमते ते ४ पोतानुं काम नहीं मूकनारा एवा लुहार थादिनी हाष्टए अथवा ते घरना कोइ पण बारणे श्रा प्रमाणे पांचमा विना पण रहेवं कल्पे . ३७. चोमासुं रहेला साधुने गृहस्थने घेर निक्षा सेवा माटे यावत् ( हवे कदेशे ते रीते) रहे, कल्पे नहीं. त्यां एक साधु अने एक श्राविकाने साथे रहे करपे नहीं. ए प्रमाणे चार लांगा जे. जो अहीं कोर पण पांचमो स्थविर अथवा स्थविरा सादी होय तो रहे कल्पे ने अथवा बीजा जोश् शके तेवं ते स्थान होय अथवा बहु धार सहित 2
ते स्थान होय तो साथे रहे कल्पे बे. एवी रीते साध्वी अने गृहस्थनी पण चतुर्नंगी जाणवी.13 है यहीं साधुनुं एकाकीपणुं कर्यु ले ते कारणसर साधुने एकला जवू पडे तेने माटे समज. सांधा-2 टिकने विषे, बीजा को साधुने उपवास होय अथवा असुख होवाथी कारणे तेम थाय . नहीं । तो उत्सर्ग मार्गे साधु पोताना सहित बीजो एटले बे जणा अने साध्वी त्रण जणी विचरे । एटले साथे जाय एम समजवू. ३ए. दी १४ चोमासु रहेला साधु साध्वी ने "मारा माटे तुं लावजे” ए प्रमाणे जेने नहीं कडं होय एवा
साधुए "तारा योग्य हुँ लावीश” एम जेने जपाव्युं नथी एवासाधुने निमित्ते अशन आदि आहार कलाववो कल्पे नहीं. ४०. "हे जगवन् ! ते शामाटे ?” एम शिष्ये प्रश्न कर्ये ते गुरु कहे जे के "जेने
१ श्रा सूत्र पण वहोरवा गया होय अंने वरसादना कारणथी उजा रहे, पमे तेने माटे समजवं.
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