Book Title: Sramana 1999 07
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 4
________________ विषय-सूची ॐ 39 १०. हिन्दी खण्ड इस अंक के हिन्दी खण्ड के सभी लेख प्रो० भागचन्द्र जैन 'भास्कर' द्वारा लिखे गये हैं। १. पर्युषण : सही दृष्टि देने वाला महापर्व १.९ तीर्थङ्कर ऋषभदेव और उनकी सांस्कृतिक परम्परा १०-२६ महावीर और उनकी परम्परा २७-६३ क्रोध का अभाव ही क्षमा है ६४-७० जीवन की सरलता ही मृदुता है ७१-७६ जीवन की निष्कपटता ही ऋजुता है ७७-८९ जीवन की निर्मलता ही शुचिता है ८२-८७ सत्य : साधना की ओर बढ़ता पदचाप ८८-९३ मन पर नकेल लगाना ही संयम है ९४-९९ स्वस्थ होना ही उत्तम तप है १००-१११ ११. राग-द्वेष भाव का विसर्जन ही त्याग है ११२-११७ १२. निर्ममत्व की ओर बढ़ना ही आकिञ्चन्य है ११८-१२२ १३. आत्मा में रमण करना ही ब्रह्मचर्य है १२३-१२९ गुजराती खण्ड १. भाषाना विकासमां प्राकृत-पालिभाषानो फालो १३०-१४० __ - पं0 बेचरदास दोशी २. जैन परंपरानुं अपभ्रंश साहित्यमा प्रदान १४१-१५० - प्रा० हरिवल्लभ चु० भयाणी अंग्रेजी खण्ड 1. Jaina Festivals Padmanabh S. Jaini 151-159 2. Fear of Food? Jaina Attitudes on Eating 160-174 Padmanabh S. Jaini पार्श्वनाथ विद्यापीठ के नये निदेशक १७५-१७६ विद्यापीठ के प्रांगण में १७६-१७८ जैन-जगत् १७९-१८५ साहित्य-सत्कार १८६-१९४ Composed at: Sarita Computers, Aurangabad, Varanasi, Ph.No. 359521 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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