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विषय-सूची
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१०.
हिन्दी खण्ड इस अंक के हिन्दी खण्ड के सभी लेख प्रो० भागचन्द्र जैन 'भास्कर' द्वारा लिखे गये हैं। १. पर्युषण : सही दृष्टि देने वाला महापर्व
१.९ तीर्थङ्कर ऋषभदेव और उनकी सांस्कृतिक परम्परा
१०-२६ महावीर और उनकी परम्परा
२७-६३ क्रोध का अभाव ही क्षमा है
६४-७० जीवन की सरलता ही मृदुता है
७१-७६ जीवन की निष्कपटता ही ऋजुता है
७७-८९ जीवन की निर्मलता ही शुचिता है
८२-८७ सत्य : साधना की ओर बढ़ता पदचाप
८८-९३ मन पर नकेल लगाना ही संयम है
९४-९९ स्वस्थ होना ही उत्तम तप है
१००-१११ ११. राग-द्वेष भाव का विसर्जन ही त्याग है
११२-११७ १२. निर्ममत्व की ओर बढ़ना ही आकिञ्चन्य है
११८-१२२ १३. आत्मा में रमण करना ही ब्रह्मचर्य है
१२३-१२९ गुजराती खण्ड १. भाषाना विकासमां प्राकृत-पालिभाषानो फालो
१३०-१४०
__ - पं0 बेचरदास दोशी २. जैन परंपरानुं अपभ्रंश साहित्यमा प्रदान
१४१-१५० - प्रा० हरिवल्लभ चु० भयाणी
अंग्रेजी खण्ड 1. Jaina Festivals
Padmanabh S. Jaini 151-159 2. Fear of Food? Jaina Attitudes on Eating
160-174 Padmanabh S. Jaini पार्श्वनाथ विद्यापीठ के नये निदेशक
१७५-१७६ विद्यापीठ के प्रांगण में
१७६-१७८ जैन-जगत्
१७९-१८५ साहित्य-सत्कार
१८६-१९४
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