Book Title: Sramana 1997 04
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 219
________________ 1 जैन जगत् प्राच्य प्राकृत एवं जैन विद्या के यशस्वी विद्वान् प्रो० (डॉ०) राजाराम जैन पुरस्कृत श्री कुन्दकुन्द भारती जैन शोध संस्थान, नई दिल्ली के सम्मान्य निदेशक प्रो० (डॉ०) राजाराम जैन, आरा (बिहार) को, वर्ष १९९६ का अहिंसा इण्टरनेशनल डिप्टीमल जैन साहित्य सम्बन्धी विशिष्ट पुरस्कार नई दिल्ली के गुरुनानक फाउण्डेशन सभागार में दिनांक ६/४/९७ को पूज्य आचार्यश्री विद्यानन्द जी महाराज के सान्निध्य तथा साहू रमेशचन्द्र जी जैन की अध्यक्षता में दिल्ली विधान सभा के स्पीकर माननीय श्री चरतीलाल जी गोयल के करकमलों द्वारा प्रदान कर सम्मानित किया गया। इक्कीस हजार रुपयों का यह पुरस्कार, शाल, श्रीफल, मणिमाला एवं स्मृतिचिह्न के साथ सबहुमान भेंट स्वरूप प्रदान किया गया। : १६५ उक्त अवसर पर उपस्थित गणमान्य विद्वानों ने प्रो० जैन की उनकी दीर्घकालीन साहित्य सेवा, विशेष रूप से अप्रकाशित दुर्लभ पाण्डुलिपियों के सम्पादन के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए अथक् परिश्रमपूर्ण अवदानों की भूरि-भूरि प्रशंसा की। यह ध्यातव्य है कि डॉ० जैन को पिछली फरवरी १९९६ में भी दिगम्बर जैन महासभा (बिहार- शाखा) की ओर से सम्मेदशिखर जी में नवनिर्मित मध्यलोक संस्थान के प्रतिष्ठा समारोह के सुअवसर पर पूज्य आचार्य श्री भरतसागर जी महाराज के पावन सान्निध्य में बिहार के राज्यपाल डॉ० किदवई के कर कमलों द्वारा २१००० /- रुपयों का पुरस्कार-सम्मान तथा १४ फरवरी १९९७ में तिजारा (अलवर) की पुण्यतीर्थ भूमि पर पूज्य उपाध्याय श्री ज्ञानसागर जी महाराज के पावन सान्निध्य में उनके दीर्घकालीन मौलिक शोध कार्यों तथा समाज-सेवा के उपलक्ष्य में प्रतीक स्वरूप ३१००० /- रुपयों के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। डॉ० जैन सन् १९९५ से ही दुर्लभ एवं अप्रकाशित पाण्डुलिपियों के सम्पादन एवं शोध कार्य में व्यस्त रहते आए हैं। डॉ० जैन को पार्श्वनाथ विद्यापीठ की तरफ से बधाई एवं शुभकामनाएँ। श्री रतनलाल बाफणा भगवान महावीर पुरस्कार से सम्मानित चेन्नई, २० अप्रैल १९९७ को भगवान महावीर फाउण्डेशन मद्रास द्वारा श्री रतनलाल सी. बाफणा को एक सादे समारोह में 'भगवान् महावीर पुरस्कार' प्रदान किया गया। यह पुरस्कार श्री बाफणा को अहिंसा तत्त्व के एक महत्त्वपूर्ण अंग शाकाहार के प्रचार एवं प्रसार हेतु किए गये उनके उल्लेखनीय कार्यों के लिए दिया गया है। इस अवसर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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