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श्रमण/अप्रैल-जून/१९९७
शोक समाचार मोतीलाल बनारसीदास के अधिष्ठाता
श्री शान्तिलाल जैन दिवंगत
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भारतीय विद्या सम्बन्धी पस्तकों के अन्तर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त, मोतीलाल बनारसीदास नामक प्रकाशन-संस्थान के अधिष्ठाता तथा श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ जैन श्वेताम्बर तीर्थ, हरिद्वार के संरक्षक एवं पूर्व अध्यक्ष, पद्मश्री शान्तिलाल जैन, १३ मार्च १९९७, को निधन हो गया।
श्री शान्तिलाल जी जैन समाज के एक कर्मठ नेता, कर्मयोगी, दानी, सरल, हँसमुख, आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी एव दृढ़ संकल्प के पुरुष थे। वे दीन-दुःखियों के सेवक तथा वीतराग परमात्मा
महावीरस्वामी के सच्चे पुजारी थे। वे अनेकानेक संस्थाओं से जीवनपर्यन्त जुड़े रहे।
वल्लभ स्मारक तथा अन्य सहयोगी संस्थाओं के साथ उनका आरम्भ से ही सम्बन्ध रहा तथा उनके विकास में सदैव उनका योगदान रहा। अपने पूज्य पितृव्य श्री सुन्दरलाल जी तथा सेठ कस्तूरलाल भाई के विचारों को साकार करने के लिए हरिद्वार में उन्होंने श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ जैन श्वेताम्बर तीर्थ का निर्माण आरम्भ किया। इस पुण्यकार्य में उन्होंने तन-मन-धन से पूर्ण योगदान देकर सर्वप्रथम भूमि का क्रय किया तथा मन्दिर और धर्मशाला का शिलान्यास करवाया। मंदिर का निर्माण आधा हो चुका है, जिसमें छ: भगवानों की प्रतिष्ठा फरवरी १९९५ में आचार्य श्री पद्मसागरसूरि जी महाराज के कर-कमलों द्वारा की जा चुकी है। यह निर्माण-कार्य जैन शिल्पकला के अनुरूप अभी दो वर्ष और चलता रहेगा। इन सभी कार्यों के प्रेरणा-स्रोत श्री शान्तिलाल जी रहे।
जैन साहित्य के प्रकाशन में भी इनका विशेष योगदान रहा है। मुनिश्री जम्बूविजय जी के साथ इनका विशेष सम्पर्क होने के कारण जैन आगमों को अनेकानेक संशोधनों के साथ ये पुनः प्रकाशित कर चुके हैं। इसके अतिरिक्त इन्होंने जैन धर्म की अन्य अनेक पुस्तकों का प्रकाशन किया ।
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