Book Title: Sramana 1997 04
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 222
________________ १६८ : श्रमण/अप्रैल-जून/१९९७ के अध्यक्ष श्री स्वरूप चन्द्र जैन, (आगरा) ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया एवं श्रीफल भेंट कर आचार्यश्री तथा मुनिगण और अतिथि विद्वानों का स्वागत किया। श्रीमती अनिला जैन के मंगलाचरण के पश्चात् प्रतिष्ठान के महासचिव श्री हृदयराज जैन ने प्रतिष्ठान की गतिविधियों एवं भावी योजनाओं पर प्रकाश डाला। ___ संगोष्ठी के अन्य सत्रों में प्रमुख रूप से बृहदारण्यक, मुण्डक उपनिषद्, श्वेताश्वतर एवं तैत्तिरीयोपनिषद् आदि में जैन तत्त्व पर चर्चा हुई। तत्पश्चात सराक संस्कृति और उनका आर्थिक उत्थान, भारतीय आदिवासियों की कला, जैन कला, समाज आदि विषयों पर भी शोध-पत्र प्रस्तुत किये गये। संगोष्ठी में सभाध्यक्ष के रूप में डॉ० मुनीशचन्द्र जोशी, डॉ०आचार्य प्रभाकर मिश्र और डॉ०एस०पी० नारंग और श्री शरद कुमार साधक की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। जैन तत्त्वज्ञान शिविर का आयोजन सन्मति तीर्थ (प्राकृत जैन विद्या संशोधन संस्था) के तत्त्वावधान में पूज्य आचार्य श्री चन्दनाजी द्वारा जैन तत्त्वज्ञान शिविर का आयोजन दिनांक ५ मई से ३१ मई, १९९७ तक पुणे में किया जा रहा है। इस शिविर का उद्घाटन श्री बाला साहेब भारदे एवं श्री अण्णा साहेब हजारे के करकमलों द्वारा किया जायेगा। शिविर में जिन विषयों पर चर्चाएँ केन्द्रित होंगी वे हैं- जैन दर्शन तथा तत्त्वज्ञान, ध्यान, योगासन, बच्चों के लिए प्राकृत शिक्षण एवं प्रश्नमञ्च आदि। शिविर के समस्त कार्यक्रम फिरोदिया होस्टल, बी०एम० कामर्स कालेज रोड, पुणे में सम्पन्न होगा। इस अवसर पर स्व० श्री नवमल जी फिरोदिया की तस्वीर का अनावरण भी किया जायेगा। अखिल भारतीय निबन्ध प्रतियोगिता का आयोजन उपाध्याय श्री केवलमुनि जैनोदय ट्रस्ट, बंगलोर द्वारा उपाध्याय प्रवर पूज्य (स्व) श्री केवलमुनि जी म.सा. की पुण्यतिथि के अवसर पर एक अखिल भारतीय निबन्ध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है। प्रतियोगिता का विषय है- 'उपाध्याय श्रीकेबलमुनि के कृतित्व और जैन साहित्य में अवदान।' निबन्ध प्रतियोगिता में चयनित सर्वश्रेष्ठ निबन्धों को पुरस्कृत किया जायेगा। पुरस्कार की राशि इस प्रकार हैप्रथम पुरस्कार रु०११००/ द्वितीय पुरस्कार रु० ७००/= तृतीय पुरस्कार रु० ३००% सान्त्वना पुरस्कार (१०) - रु० ५०/3 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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