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श्रमण/अप्रैल-जून/१९९६
अनेकान्त ज्ञानमंदिर बीना में पाण्डुलिपियों का अपूर्व संग्रहालय
पाण्डुलिपियाँ हमारी संस्कृति की अमूल्य धरोहर हैं। पाण्डुलिपियों को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से परमपूज्य मुनि श्री १०८ सरलसागर जी महाराज के सुयोग्य शिष्य ब्रह्म० संदीप जैन 'सरल' की पावन प्रेरणा एवं मार्गदर्शन में छोटी-बजरिया, बीना (सागर ) में अनेकान्त ज्ञान मन्दिर के अन्तर्गत पाण्डुलिपियों का एक विशाल संग्रहालय स्थापित किया जा चुका है। जिसमें अनेक स्थानों से सैकड़ों पाण्डुलिपियाँ ( हस्तलिखित ग्रन्थ ) आ चुके हैं। पाण्डुलिपियों का सूचीकरण करके उन्हें स्टील की अल्मारियों में नवीन बेस्टन में लपेटकर सुरक्षित रखा जा रहा है। जिन मन्दिरों में या शास्त्रभण्डारों में हस्तलिखित ग्रन्थ हैं वे संग्रहालय में स्वयं भिजवाएँ अथवा सूचित करें ताकि कार्यकर्तागण स्वयं उस स्थान से ग्रन्थ प्राप्त कर सकें। जिस स्थान से ग्रन्थ प्राप्त होंगे वे रिकार्ड रजिस्टर में दर्ज रहेंगे और भविष्य में जरूरत पड़ने पर वापस भी ले जा सकते हैं। अप्रकाशित पाण्डुलिपियों को प्रकाशित किया जायेगा।
सम्पर्क के लिए लिखें : पदमचन्द जैन अनेकान्त जैन मंदिर, छोटी बजरिया, बीना जिला : सागर ( म० प्र० )
मूल्यपरक शिक्षा पर कार्यशाला सम्पन्न गाँधी विद्या संस्थान, वाराणसी द्वारा विगत फरवरी के तृतीय सप्ताह में 'मूल्यपरक शिक्षा' पर एक त्रिदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला के
अन्तिम दिन दि० २४ फरवरी को आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता पार्श्वनाथ विद्यापीठ के निदेशक प्रो० सागरमल जैन ने की। विद्यापीठ के 'अहिंसा एवं मूल्य शिक्षा विभाग के अध्यक्ष प्रो० सुरेन्द्र वर्मा इस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किये गये, जहाँ उन्होंने मूल्यपरक शिक्षा पर व्याख्यान दिया।
गाँधी विद्या संस्थान के निदेशक एवं गाँधी-दर्शन के प्रख्यात विद्वान प्रो० रामजी सिंह ने कार्यशाला में आमंत्रित विद्वानों का आभार व्यक्त करते हुए 'मूल्यपरक शिक्षा' के हार्द को अपनी चिरपरिचित शैली में प्रस्तुत कर श्रोताओं को मन्त्रमुग्ध कर दिया।
अखिल भारतीय शास्त्र संगोष्ठी सम्पन्न संस्कृत विद्या धर्मविज्ञान संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के तत्त्वावधान में ११-१३ मार्च, १९९६ को 'जैनबौद्धमतानुसारेण जीवनमूल्यानि' विषय पर चर्चा हेतु अखिल भारतीय शास्त्र संगोष्ठी का आयोजन किया गया। १२ मार्च को तृतीय सत्र में जैन विद्या के शीर्षस्थ विद्वान् और पार्श्वनाथ विद्यापीठ के निदेशक प्रो० सागरमल जैन को मुख्य वक्ता के रूप में आमन्त्रित किया गया, जहाँ उन्होंने जैन धर्म में जीवन मूल्य नामक विषय
पर अत्यन्त विद्वत्तापूर्ण व्याख्यान दिया। इस सत्र की अध्यक्षता पार्श्वनाथ विद्यापीठ के Jain Education International For Private & Personal Use Only
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