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श्रमण/अप्रैल-जून/१९९६ :
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(ग) आत्मरक्षा स्तोत्रपाठ - साध्वी श्री प्रियदर्शना श्रीजी म. सा०; विषय प्रवर्तन - प्रो० सागरमल जैन; १. जैन धर्म दर्शन और तंत्र - प्रो० सागरमल जैन; २. जैन तांत्रिक साधना में सरस्वती - डॉ० अशोक कुमार सिंह; ३. तंत्र और मंत्र के अन्तःसम्बन्ध पर विचार - मनोरमा जैन; ४. जैन तंत्र का विकास एवं भैरव पद्मावतीकल्प का तान्त्रिक विवेचन - अजित कुमार जैन; ५. जैन यन्त्र-मंत्र-तंत्रवाद - डॉ० नन्दलाल जैन; ६. Jaina Tantrika Yantra - Dr. Lalit Kumar, read by Dr. S. P. Pandey; ७. योगिनी पूजा एवं जैन धर्म - श्री एस० एम० जैन; ८. जैन शास्त्रों में तंत्र-मंत्र के उल्लेख - डॉ० कमलेश कुमार जैन; ९. तंत्र और जैन साधना – डॉ० रज्जन कुमार।
द्वितीय सत्र की अध्यक्षता बौद्ध धर्म-दर्शन के सुप्रसिद्ध विद्वान एवं तिब्बती उच्चशिक्षा संस्थान ( मान्य विश्वविद्यालय ) के कुलपति प्रो० रिपोछे ने की। इस सत्र में प्रो० मणिशंकर शुक्ल, प्रो० रमाशंकर त्रिपाठी, प्रो० साम्तानी, प्रो० कमलाकर मिश्र आदि के बौद्ध तंत्र साहित्य से सम्बद्ध शोधपत्रों का वाचन हुआ। अत्यन्त सफलतापूर्वक सम्पन्न इस महत्त्वपूर्ण संगोष्ठी की सम्पूर्ण सुव्यवस्था के लिए विद्यापीठ के वरिष्ठ शिक्षकगण एवं उनके सहयोगी बधाई के पात्र हैं।
श्री दीपचन्द गार्डी'भारत जैन रत्न १९९६ ' पुरस्कार से सम्मानित
१६ मार्च १९९६, भारतीय जैन संघटना की बीड शाखा की ओर से महान समाजसेवी श्री दीपचन्द्र गार्डी को बीड में आयोजित सामूहिक विवाह के एक समारोह में 'भारत जैन रत्न १९९६' पुरस्कार से सम्मानित किया गया। श्री गार्डी को यह पुरस्कार पद्मभूषण श्री अण्णा साहेब हजारे, उपमुख्यमंत्री श्री गोपीनाथ राव जी मुंडे, सांसद श्री सुनील दत्त, स्वास्थ्य मंत्री श्री सुरेश नवले आदि महानुभावों के कर-कमलों द्वारा प्रदान किया गया। समारोह की अध्यक्षता पद्मभूषण डॉ० गोविन्दभाई श्रॉफ एवं संयोजन श्री नितिन कोटेचा, सचिव भारतीय जैन संघटना, महाराष्ट्र ने किया।
उल्लेखनीय है कि उदारमना श्री गार्डी बहुआयामी-व्यक्तित्व के धनी, एवं कर्मठ समाजसेवी हैं। आप पार्श्वनाथ विद्यापीठ से भी अभिन्न रूप से जुड़े हैं। विद्यापीठ श्री गार्डी के इस सम्मान पर उन्हें हार्दिक बधाई देता है।
श्री दीपचन्द गार्डी का संक्षिप्त परिचय नाम : श्री दीपचन्द्र गार्डी पता : ३, उषाकिरण, एम० एल० धानूकर मार्ग, मुम्बई - ४०० ०२६ शिक्षा : बी० एस-सी०, एल-एल० बी०, बार ऐट लॉ १९४२-४३ । धर्म : हिन्दू जैन व्यवसाय : रिटायर्ड बैरिस्टर, सामाजिक एवं धार्मिक कार्यों में सन्नद्ध For Private & Personal Use Only
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