Book Title: Sramana 1993 01
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 60
________________ सन्दर्भ 1. षव्यकेषु (1236) च सार्धपूर्णिम.... । मुनि जिनविजय, संपा. विविधगच्छीयपट्टावलीसंग्रह, सिंघी जैन ग्रन्थमाला, ग्रन्यांक 53, भारतीय विद्याभवन, बम्बई, 1961 ईस्वी, पृष्ठ 21, 39, 65, 201 आदि। 2. त्रिपुटी महाराज -- जैनपरम्परानो इतिहास, भाग 2, चारित्रस्मारक ग्रन्थमाला ग्रन्थांक 54, अहमदाबाद 1960 ईस्वी, पृष्ठ 544-546 संवत् 1412 वर्षे पौष वदि 12 गुरौ अद्येह श्रीमदणहिलपट्टने श्रीसाधुपूर्णिमापक्षीय श्रीअभयचन्द्रसूरीणां पुस्तकं लिखितं पंडित महिमा (पा? ) केन। शुभं भवतु । शांतिनाथचरित की दाता प्रशस्ति मुनि जिनविजय - संपा जैनपुस्तकप्रशस्तिसंग्रह, सिंघी जैन ग्रन्थमाला ग्रन्थांक 18, भारतीय विद्याभवन, बम्बई, 1944 ईस्वी, पृष्ठ 139, प्रशस्ति क्रमांक 310. 4. मूल ग्रन्थ और उसकी प्रशस्ति उपलब्ध न होने से उक्त उद्धरण निम्नलिखित ग्रन्थों के आधार पर दिया गया है : H.D. Velankar - Ed. JINARATNAKOSHA, Government Oriental Series, Class C, No.4, B.O.R,I. Poona-1944 A.D., p. 267-268. मोहनलाल दलीचन्द देसाई - जैन साहित्यनो संक्षिप्त इतिहास, बम्बई, 1932 ई., पृष्ठ 437. संवत् 1453 वर्षे फाल्गुन सुदिपूर्णिमादिने उद्येह श्रीमत्पत्तने श्रीराउतवाटके श्रीसाधुपूर्णिमापक्षीय भट्टारकश्रीअभयचन्द्रसरि -- शिष्यरामचन्द्रसरि पठनार्थं ज्ञा (न्या) यावतारवृत्तिप्रकरणं लल (ललित) कीर्तिमुनिना लिखितं शुभं भवतु। A.P. Shah. Ed. Catalogue of Sanskrit and Prakrit MSS : Muni Shree Punya Vijayajis Collection, L. D. Series No.2 Ahmedabad 1963 A.D. p.201, No. 3494. अगरचन्द नाहटा - "विक्रमादित्य सम्बन्धी जैन साहित्य" विक्रमस्मृतिग्रन्थ, संपा. हरिहर निवास द्विवेदी तथा अन्य, उज्जैन, वि.सं. 2001, पृष्ठ 141-148 संवत् 1504 वर्षे आसो सुदि 10 सोमवारे साधुपूण्णिमागच्छे चन्द्रप्रभसूरिसंताने भ. श्रीपुण्यचन्द्रसूरि-शिष्यगणिवरजयसिंहगणिना राणपुरनगरे सम्यकत्वरत्नमहोदधिग्रन्थपुस्तकं लिखितम् ।। A.P. Shah, Ibid pp.149-151, No. 2934 पुण्यइं लाभई सुखसंयोग, पुण्यइं काजइं देवगह भोग, पुण्यइं सवि अंतराय टलइ, मनवंछित फल पुण्य लहइ। साधपूनिम पक्ष गच्छ अहिनाण, श्रीरामचन्द्रसूरि सुगुरु सुजाण, 5. Jain Education International Forgevate & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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