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पार्श्वनाथ शोधपीठ परिसर, जनवरी-मार्च १६६३
२१-२३ जनवरी, निदेशक, प्रो. सागरमल जैन ने जैन विद्या अध्ययन विभाग, मद्रास विश्वविद्यालय एवं रिसर्च फाउण्डेशन फार जैनालाजी मद्रास के तत्वावधान में आयोजित व्याख्यानमाला के अन्तर्गत 'इंट्रोडक्शन दू जैनसाधना एण्ड योग' पर तीन व्याख्यान दिये।
इसी अवसर पर आयोजित सेमिनार में प्रो. सागरमल जैन ने। 'इक्वेनिमिटी एण्ड पीस' शीर्षक शोधपत्र का भी वाचन किया।
इस सेमिनार में शोधाधिकारी, डॉ. अशोक कुमार सिंह ने 'साधना आव - महावीर एज डेपिक्टेड इन उपधानश्रुत' पत्र प्रस्तुत किया। १५-१६ मार्च, ऋषभदेव फाउण्डेशन द्वारा आयोजित सेमिनार में डॉ. सागरमल जैन ने 'ऋग्वेद में ऋषभवाची ऋचायें' शीर्षक पत्र का वाचन किया। १६-२० मार्च, प्रो. सागरमल जैन ने नवदर्शन सोसायटी, अहमदाबाद द्वारा आयोजित 'अनेकान्तवाद वर्कशाप' में अनेकान्तवाद के विभिन्न पक्षों पर तीन व्याख्यान दिये।
पी-एच.डी. उपाधि प्राप्त
लाडनू : मासिक 'जैन भारती' की संपादिका मुमुक्षु शांता बहन को राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर ने उनके 'लेश्या का मनोवैज्ञानिक अध्ययन' विषयक शोध प्रबन्ध पर पी-एच.डी. उपाधि प्रदान की है।
प्राध्यापक श्री पूरनचन्द जैन को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी ने उनके शोध प्रबन्ध -- 'महाकवि अर्हददास : एक परिशीलन' पर डाक्टरेट की उपाधि प्रदान की है।
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