Book Title: Sramana 1990 01 Author(s): Sagarmal Jain Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi View full book textPage 2
________________ सहसम्पादक वर्ष ४१ प्रस्तुत अंक में १. स्याद्वाद और सप्तभंगी : एक चिन्तन ३. जैनधर्म में मानव प्रधान सम्पादक प्रो० सागरमल जैन जनवरी-मार्च १९९० २. धर्मघोषगच्छ का संक्षिप्त इतिहास ४. साहित्य सत्कार नोट - श्रमण वर्ष ४० अंक १२ वार्षिक शुल्क चालीस रुपये Jain Education International - प्रो० सागरमल जैन - - डा० शिवप्रसाद डा० शिवप्रसाद -डा० रज्जनकुमार - डा० सुनीता कुमारी अंक १-३ For Private & Personal Use Only ३ अक्टूबर १९८९ तक पूर्ण हो गया । वर्ष ४१ के अंक १ से ३, जनवरी, फरवरी, मार्च संयुक्तांक के रूप में प्रस्तुत है । ४५ १०५ ११३ यह आवश्यक नहीं कि लेखक के विचारों से सम्पादक अथवा संस्थान सहमत हो । एक प्रति दस रुपया www.jainelibrary.orgPage Navigation
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