Book Title: Siddhachakra Vidhan Author(s): Santlal Pandit Publisher: Veer Pustak Bhandar Jaipur View full book textPage 6
________________ /७३ मन पृष्ठ पक्ति अशुद्ध । पृष्ठ पक्ति अशुद्ध ४२ ५ जतु जियही ततु जिय । ह जिन निज ४४ १४ सुख धामको सुर बामको ४ भावी भाषो १४ तन १३ जिन बिन ४६ १० करती करत ही ८ विनवै बिलसै १० (निर्मल सलिल पृष्ठ ३८ मे पढ़ें) १५ भवछेदकाय वध छेदकाय ५२ ३ चाहँ, ज्ञेय चहुँ गुण गेह । ८५ १० (यहा से जयमाला प्रारभ है) ४ (यहा जाप्य न देकर जयमाला के १ (जाप्यमत्र जयमाला के अन्त मे दे) वाद देवे ) ३ शरीर सरीख १० निरसता सरसता ३ बिन्दु हकार सुविन्दु हकार १२ जिन निज ८ तान ८ बिंदु हकार सुर्विदु हकार १ अभय चाहूँ अभेय चहुँ गुण १३ समय सम्यक् ११ नत्र मत्र १०४ & त्रिजग की तिर्यग की १२ नाशको नाग को ३ निर्मल निर्वले ११ सुमरण सुरगग्ग १०६ २ नाही ताही ७ विलास विशाल १२२ ९ निजवासधात निजवासघात २ करी १२२ १० प्रकाराथिर प्रकाराऽथिर ५८७ अछेद अदूज १२८ ८ चाहूँ, ज्ञेय चहूँ गुण गेह१५१७ विदु हकार सुविन्दु हकार ९-१० हैडिंग से पहले अर्ध चढाने का मत्र पढे १५६ ४ अछेद अदूज ६२ ४ नित नत निज अनन्त २३१ १३ हो #.53 #Fra 353 REEEEEEE ताग ६७ १०५ सुरी भाग काजPage Navigation
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