Book Title: Shrutsagar Ank 2000 01 010
Author(s): Manoj Jain, Balaji Ganorkar
Publisher: Shree Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अष्ट प्रतिहार युक्त इस प्रतिमा की पहचान संभव नहीं है क्योंकि पूजाविधि से प्रतिमा की ऊपरी परत एवं लांछन नष्टप्राय है पर यह प्रतिमा तीर्थंकर मल्लिनाथ की होने की संभावना है क्योंकि लेख में श्री मल अस्पष्ट रूप से वाच्य है. अन्य प्रतिमाओं की तरह ही इस प्रतिमा में चामरधारी, यक्ष-यक्षिणी, धर्मचक्र एवं नवग्रह, श्रावक-श्राविका आदि शोभायमान हैं. संवत १२३९ कार्तिक सुदि १ भ्रातृ रंरालेन_. सर्वदेवसूरिभिः नाप (से.मी.) ऊँचाई १८ लंबाई- १३.५ चौड़ाई - ८ ९. तीर्थंकर पार्श्वनाथ की एकतीर्थी प्रतिमा - विक्रम संवत १२ - - www.kobatirth.org ( परिग्रहण क्र. २०) तीर्थंकर पार्श्वनाथ की इस प्रतिमा में भी प्रथम की तरह प्रतिमा की ऊपरी परत एवं लेख नष्टप्राय है. सिर्फ़ संवत १२२३ वर्षे इतना ही वाच्य है बाकी हिस्सा वाच्य नहीं है. नाप (से.मी.) ऊँचाई २० लंबाई १३ चौड़ाई - ७.५ - १०. तीर्थंकर पार्श्वनाथ त्रितीर्थी प्रतिमा संवत १३०१ (१३१०) (परिग्रहण क्र. ६६ ) - मध्य में तीर्थंकर पार्श्वनाथ, ऊपर सप्त नागफणा, शरीर के बाक़ी हिस्से का रेखांकन तीर्थंकर की पीठिका तक किया गया हैं. दोनों ओर चामरधारी, यक्ष-यक्षिणी, सिंहासन के मध्य भाग में सर्प लांछन का स्पष्ट रेखांकन, पीठिका पर धर्मचक्र, नवग्रह एवं आराधक स्त्री-पुरूष आदि अष्टप्रतिहार्यों के अंकनों के साथ ही परिकर को भी अलंकृत किया गया है. इस प्रतिमा पर निम्नलिखित लेख अंकित है ९० ।। संवत १३१ वर्षे फागुण वदि ५ स (श) नौ श्री प्रागवाटत्वये (प्राग्वाटान्वये) पो. तिहुणपाल पालक ( त्र, त्व) तूतये श्रेयसे प्रा. क्षीमसीहेन भा._ यकया सहितेन श्री पार्श्वनाथ प्रतिमा कारिता प्र. श्री यशोदेवसूरिभि. नाप (से.मी.) ऊँचाई १७.५ लंबाई- ११.५ चौड़ाई - ७.५ ११. आदिनाथ एकतीर्थी प्रतिमा विक्रम संवत १३२७ (परिग्रहण क्र. ३८ ) विशिष्ट प्रकार के परिकर युक्त तीर्थंकर आदिनाथ की यह प्रतिमा अष्ट प्रतिहार्य युक्त है. प्रतिमा में नज़र आ रही लालिमा ताँबे के अधिकतर प्रयोग से है. द्विपीठिका युक्त इस प्रतिमा की प्रथम पीठिका पर यक्ष-यक्षिणी, धर्मचक्र एवं नवग्रह के अंकन हैं और द्वितीय पीठिका के दोनों छोर पर श्रावक-श्राविका के अंकन है. इस प्रतिमा पर निम्नलिखित लेख पढ़ा जा सकता है - मातृ प्रियम श्री मल_ - - - Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - (सा) त् कुवार भार्या ठ. जयतू परमानंद सूरिभिः ||ठ|| कारिता प्रतिष्ठता श्री ९ सं. १३२७ माह सुदि ५ श्रीमाल ज्ञातिय शांतान्वये भांडा राजा सुत भांडा. नाग (गे) न्द्र भायाँ व ( ब ) उलदेवि तयोः सुत राणाकेन पित्रोः श्रेयार्थे श्री आदिनाथ बिंब कारितं प्रतिष्ठितं भावडार गच्छे श्री भावदेवसूरिभिः ठ ।। - यह गच्छ ऊपर कथित भावदेवाचार्य गच्छ का ही नामांतर है. नाप ( से.मी.) ऊँचाई १६.५ लंबाई १२ चौड़ाई - ६.५ १२. चंद्रप्रभस्वामी की एकतीर्थी प्रतिमा विक्रम संवत १३२६ (परिग्रहण क्र. ३५ ) अष्टप्रतिहार्य समेत इस प्रतिमा में भी अन्य प्रतिमाओं की तरह चामरधारी, धर्मचक्र, नवग्रह, यक्ष-यक्षिणी आदि अंकित हैं. प्रतिमा पर लेख इस प्रकार है- ९० ।। संवत १३२६ वर्षे माघ वदि २ रवौ मोढ ज्ञातिय श्रेयार्थे ठ आहडेन श्री चंद्रप्रभबिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्री १३ For Private and Personal Use Only

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