Book Title: Shrutsagar 2014 07 Volume 01 01
Author(s): Kanubhai L Shah
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

View full book text
Previous | Next

Page 32
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पुस्तक समीक्षा डॉ. हेमन्त कुमार पुस्तक नाम : जैन पत्रकारत्व संपादक : श्री गुणवंत बरवालिया प्रकाशक : श्री वीर तत्त्व प्रकाशक मंडल, शिवपुरी तथा श्री रूप माणेक भंसाली चेरिटेबल ट्रस्ट, मुंबई प्रकाशन वर्ष : ईस्वी सन् २०१४ कुल पृष्ठ : २३० मूल्य : २००/- भाषा : गुजराती एवं हिन्दी श्री महावीर जैन विद्यालय, मुंबई श्रुतज्ञान के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से प्रतिवर्ष जैन साहित्य समारोह का आयोजन कर रहा है. इस समारोह में एक निर्धारित विषय पर देश के जैन-जैनेतर विद्वानों द्वारा अपने-अपने शोध निबंध प्रस्तुत किए जाते हैं और उन निबंधों को प्रकाशित किया जाता है. - इसी शृंखला की एक कड़ी के रूप में मार्च २०१२ में २१वाँ जैन साहित्य समारोह का आयोजन पावापुरी तीर्थ (राजस्थान) में किया गया था. जिसमें अनेक स्वनामधन्य विद्वानों ने जैन पत्रकारत्व विषय पर शोधपूर्ण निबंध प्रस्तुत किये. प्रस्तुत प्रकाशन में उपरोक्त समारोह में विभिन्न विद्वानों द्वारा जैन पत्रकारत्व विषय पर प्रस्तुत शोध निबंधों को प्रकाशित किया गया है. विद्वानों ने अपने लेखों के माध्यम से यह बतलाने का भरपूर प्रयास किया है कि सामान्य पत्रकार एवं जैन पत्रकार में क्या अन्तर है? पत्रकार शब्द के साथ जैन शब्द जोड़ने की क्या आवश्यकता है? क्यों नहीं केवल पत्रकार शब्द से ही काम चल सकता है? इन सबके साथ जैन पत्रकारत्व का इतिहास, जैन पत्रकार, जैन पत्र-पत्रिकाएँ, जिन शासन के संरक्षण और उत्कर्ष में जैन पत्रकारों तथा जैन पत्र-पत्रिकाओं का योगदान आदि विषयों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया गया है. प्रस्तुत प्रकाशन सर्वसामान्य के लिए तो उपयोगी है ही विशेषतः वैसे लोगों के लिए बहुत ही उपयोगी है, जो पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं. एक पत्रकार को कैसा होना चाहिए? एक पत्रकार का दायित्व क्या है? एक पत्रकार समाज सर्जन में किस रूप से सहायक सिद्ध हो सकता है? आदि विषयों को जाननेसमझने में यह प्रकाशन सहायोगी होगा. अनेक विद्वानों/पत्रकारों द्वारा लिखित पत्रकार, पत्रकारिता, पत्र-पत्रिकाओं आदि विषयों से संबंधित लेखों का संकलन एवं संपादन श्री गुणवंत बरवालियाजी ने बहुत ही सुन्दर ढंग से किया है. समाज को उनसे इसी प्रकार के उत्कृष्ट साहित्य सेवा की अपेक्षा है. For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 30 31 32 33 34 35 36