Book Title: Shripalras aur Hindi Vivechan
Author(s): Nyayavijay
Publisher: Rajendra Jain Bhuvan Palitana

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Page 15
________________ धन से कोई मनुष्य-मनुष्य नहीं हो जाता । १०NKARAN श्रीपाल रास मयणा ने माता ठवे जिन मत पंडित पास ललना । सार विचार सिद्धांतना आदखा अभ्यास ललना ॥११॥ देश. प्रजापाल का जीवन अत्यन्त सुखमय था। उन्हें दोनों महारानियों की नीनि रीति एवं नम्र व्यवहार से पूर्ण संतोष और गौरव था । एक बार सौभाग्य से दोनों रानियां साथ ही गर्भवती हुई । प्रजापाल गर्भाधान के समाचार सुन फूला न समाया, प्रसन्नता वश उनका मन मयूर नाचने लगा। राजा ने परिवार की वृद्ध महिलाओं को बुला कर उन्हें आदेश दिया कि वे महा दोनों महारानियों के पास उपस्थित रह कर उन्हें प्रसव विज्ञान की शिक्षा दे । प्रसव विज्ञान : खो को साहित्य, विज्ञान और दर्शन जानने की उतनी आवश्यकता नहीं है, जितनी कि उसे सु-माता बनने की रीति जानने की। जिस जाति में सुमाताओं की संख्या अधिक हैं, वह जाति उतनी ही उत्तम और श्रेष्ठ है। मानव जीवन के निर्माण में माता का विशेष हाथ रहता है। माँ का पुत्र पर क्या प्रभाव पड़ता है। यह जानना हो तो प्रसिद्ध महापुरुषों के जीवन चरित्र पहिये । (१) शरीर शास्त्र के विद्वानों का कहना है गर्भ स्थिर होने के बाद ६ महिने तक गर्भस्थ जीव का केवल शारीरिक विकास होता रहता है, इसके याद मस्तिष्क का उसमें मानवी चेतना आने लगती है। फलतः बालक की बाह्य सुन्दरता याने उमका शारीरिक गठन, स्वस्थता और सौंदर्य लाने के लिए गर्भाधान से लेकर प्रथम छः मास तक प्रयत्न करना चाहिए तथा मानसिक सौन्दर्य अर्थात् सुरुचि बुद्धिमत्ता, दया, विवेक आदि गुणों के लिए सातवें मास से जन्म समय तक प्रयत्न करना आवश्यक है। इच्छा शक्ति में अतुल चल, अनोखा चमत्कार है । इच्छा शक्ति का अर्थ है, मनुष्य की मन पसन्द वस्तु का निःसंदेह प्राप्त होना । संतान पर पिता से अधिक प्रभाव माना का पड़ता है। स्त्रियों को चाहिये कि वे इच्छा कि का प्रयोग कर अपने भाग्य को चमकाने . इच्छाशक्ति का मंत्र: (१) मेरे गर्भ में एक ऐसा जीव पनप रहा है, जो कि महान आत्मा होगा. उसके जीवन से लाखों का उपकार होगा, वह राष्ट्र और समाजका चमकता चांद होगा ।

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