Book Title: Shripal Charitram Shloakbaddham
Author(s): Labdhimuni,
Publisher: Zaveri Mulchand Hirachand Bhagat
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________________ श्रीपाल परित्रम् // 94 // // 9 // SAIRPETECAMERCISES | पंन्यास-केशराख्यमुनीश्वराः / राजन्ते साम्प्रतं जीवा-न्बोधयन्तोऽत्र भूतले // 10 // श्रीमोहनमुनीन्द्राणां, 121 शिष्याः पुनर्विशारदाः / श्रीराजमुनयोऽभूवन् , निर्मलव्रतधारकाः // 102 // तदीयमुख्यशिष्याः श्री-गणि श्लोकपदं रत्नमुनीश्वराः / भान्ति कषायदण्डाक्षा-श्रवादिपरिवर्जिताः // 103 // संवत्खोंकांकसोमाब्दे ( 1990 ), ज्येष्ठ शुक्ले पुनस्तिथौ / सप्तम्यां कच्छदेशस्य, भुजद्रङ्गे समासतः // 104 // राजमुन्यणुशिष्येण, श्रीलब्धि-15 मुनिना मया। श्रीपालेशकथा पद्या, प्रेममुन्याग्रहात्कृता // 105 // युग्मम् // श्रीदेवगुरुसद्भक्ति-कारिणा हूँ विदुषा सता / पुण्यप्रभाविना कोष्ठा-गारिणा गुणरागिणा // 106 // श्राद्धसौभाग्यचन्द्रेण, जिनधर्मानुसारिणा / संशोधितमिदं ग्रन्थं, लीम्बडीपुर्निवासिना // 107 // युग्मम् // SONGCA-%22%-1-%CIA EDIANP // इति श्रीलब्धिमुनिविरचितं श्रीपालचरित्रं श्लोकबद्धं समाप्तम् // JAHINDI M Jain Educat a boral For Personal & Private Use Only nelibrary.org

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