Book Title: Shravak Nitya Krutya
Author(s): Jinkrupachandrasuri
Publisher: Nirnaysagar Press

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Page 7
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ग्रंथांक. ग्रंथनाम. पृष्ठ. ग्रंथांक. ग्रंथनाम. १३३ श्रीसुयदेविपसायकरिश्रीजिन- १४८ पांचज्ञानप्रगटायवा दत्तसूरिउत्पत्ति छं० १२० पांचम चै० १३४ रिसहजिनेसरसोजयोश्रीजिन | १४९ आठमदिन आराधिये .. कुशलसूरिउत्पत्ति छं० १२१ आठम चै० १३५ विलसैरिद्धिसमृद्धिमिलि स्त. १२३ / १५० श्रीमल्लित्रिभुवनघणी १३६ सद्गुरुमाहारारे स्त० १२४ इग्यारस चै० १३३ १३७ वासुपूज्यजिनअंतरजामी १५१ सीतलजिनपतिजगतिलो चै० १३४ बीजकीथुइ १२५ १५२ वारमजिनवरवंदिये चैः १३४ १३८ नेमिजिनेसर जगपरमेसर १५३ श्रीवीरजिनेसरभाखियो पांचमकीथु० पर्युषण चैः १३४ १३९ आठप्रातिहारजजसुसो है १५४ श्रीअरिहंतनावारगुण आठमकीथु० १२७ नवपदगुण चै० १३५ १४० एकादशीआखिआदिदेवे १५५ वासुपूज्यजिनवरन, इग्यारसथु० १२७ रोहिणी चे० १४१ श्रीसिद्धचक्रमुहंकर जाणो | १५६ चोविसमजिनवरनमें नवपदथु० चै० भद्रेसर १४२ सिरिसिद्धचक्रसेवोभविया थु० १२९ १५७ नेमीसरजिनजगधणी १४३ सांतिजिनराया थु० १२९ गिरनार चै० १४४ वासुपूज्यजिनेसरबंदु | १५८ रिषभवृषभगजअ. रोहिणी थु. २४ लांछन चै. १३६ १४५ वीरजिनेसरभवणदिनेसर १५९ श्रीजिनशासनजगजयो दीवाली थु० - पूनिम चै० १४६ श्रीसिद्धाचलतीरथसेवो १६. सोलमजिनवरसेविये चै० १३७ पूनिम थु. १६१ वामानंदनपासजी चै० चैत्यवंदन १६२ वीरजिनेसरजगधणी चै० १३८ १४७ द्विविधधर्मजिनवरकह्यो १६३ अरिहंतादिकपदतणो वीजचै. नवपदवृद्ध स्त० १३८ १३० १३७ For Private And Personal Use Only

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