Book Title: Shraman Dharm Jyot Author(s): Abhaysagar Publisher: Jain Shree Sangh View full book textPage 441
________________ વિચારણીય સુભાષિતા * उवसमसारं खु सामण्णं * सोही खलु उज्जुभू अस्स * ण पेमरागा परमत्थि बंधो * अप्पा खलु सययं रक्खियब्बो * अप्पा अरी होइ अणवडियस्स * धम्मा अ ताणं सरणं गई अ * रागादओ भावसत्तू * कम्मोदया वाहिणी * असारा बिसया नियमगामिणो, विरसावसाना, भावकिरिममा राहे, पसमसुहमणुहवई, अपीडिए संजमतपकिरियाए अव्वदिए परीसहोवसग्गेहि. *Page Navigation
1 ... 439 440 441 442