Book Title: Shraddh Pratikraman Sutram
Author(s): Ratnashekharsuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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श्लोकाः पत्राङ्का श्लोकाः
पत्राङ्काः
श्लोकाः कयवयकम्मो तहसीलवं च. १९५ कार्य शुभेऽशुभे वाऽपि. .... १३६ कुविअस्स आउरस्सय. करचलुअपाणिएणवि अवसरदि०. ११३ कालादओवि मरिउं च उत्थपुढ०. २०२ कुसुम्भकुखमाम्भोवन्नि०. करसन्नभमुहखेवाइएहिं. .... ३५ काले दिण्णस्स पहेणयस्स अग्घो०. १७५ कुसिणाणि अ चउसट्टी. करोत्यादौ तावत् सघृणहृदयः. १२४ किइकम्मकरो हवइ साहू.
१ कूटसाक्षी मृपावादी०. .... कर्तुः स्वयं कारयितुः परेण. १७१ किविणाण धणं नागाण फण.. ९७ कूटसाक्षी सुहृद्रोही०. .... | कलिकारओवि जण मारओवि. ८४ किं केण कस्स दिजइ. .... ३० कूलेसु सुओप्पत्ती०. .... | कल्लोलादपि बुहृदादपि चलद्वि० ९५ किं ताए पढिआए पयकोडी०. ४० कृपणेऽनाथदरिद्रे व्यसनप्राप्त०.
कहकह करेमि कह मा. .... १९५ किं तिबेण तवेण किं च जवेण. १५५ कृपानदी महातीरे०. .... | "कहन्नं भंते ? जीवा नेरइअत्ताए कम्म." ५ किं सुरगिरिणो गरुअं०. .... केचिद्भोजनभङ्गिनिर्भरधियः.
"कहिणं भंते ? समुच्छिम मनुस्सा सं०"१३३ कुप्रामवासः कुनरेन्द्र. .... ४३ केसिंचि होइ चित्तं वित्तं०. ...... क्रियाशून्यस्य यो भावो. .... ४ कुतूहलाद्गीतनृत्यनाटकादि. ..... १३३ कोऽपि कापि कुतोऽपि कस्यचिदहो. | काउण वामजाणुं हिट्ठा उड्डूं च. २ कुरंगमातंगपतंगभृङ्गाः. .... ६ कौशेयं कृमिजं सुवर्णमुपलार्वा. कामरागस्नेहरागाविषत्करनिवारणौ. ७ कुरुबयतरुणो फुलंति जत्थ..... १९२ कंचणमणिसोवाणं.
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