Book Title: Shatprabhutadi Sangraha
Author(s): Kundkundacharya, Pannalal Soni
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
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गाथाः
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२८८
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१०
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गाथाः पृष्ठसंख्याः ।
पृष्ठसंख्याः गुणगणमणिमालाए... ...
जह तारायणसहियं... ... २८८ गुणगणविहूसियंगो ... ... ३७५ जह दीवो गब्भहरे... ... गुणठाणमग्गणेहि ... ... जह पत्त्थरो ण भिज्जइ २४२
जह फणिराओ रेहइ चउविहविकहासत्तो ... १३९
जह फलियमणिविसुद्धो ... चउसद्विचमरसहिओ ... जह फुलं गंधमयं ... ... चक्कहररामकेसव ... ...
जह बीयम्मि य दड़े ... चरणं हवइ सधम्मो ... जह मूलम्मि विणढे चरियावरिया वद ...... जह मूलाओ खंधो... ... चारित्तसमारूढो ... ... जह रयणाणं पवरं ... ... २३१ चित्ता सोही ण तेसिं
जह सलिलेण ण लिप्पइ ... चेइय बंधं मोक्खं ... ... जाणहि भावं पढमं... ... १३१
जाव ण भावहि तचं ... छज्जीवछडायदणं
जिणणाणदिहि सुद्धं... ... ३२ छद्दव्व नवपयथा ... ... १८
जिणबिंब णाणमयं ... ... ८४ छायालदोसदूसिय ...
जिणमग्गे पव्वजा
११९
जिणमुदं सिद्धिसुह... जइ दंसणेण सुद्धा ... ... जिगवयणमोसहमिणं ... जदि पठदि बहुसुदाणि
जिणवरचरणंबुरुहं ... ... २९४ जरवाहिजम्ममरणं... ... जिणवरमएण जोई ... ... जरवाहिदुक्खरहियं
जीवविमुक्को सवओ जलथलसिहिपवणंबर ... जीवाजीवविहत्ती ... ... जस्स परिग्गहगहणं ... जहजायरूवरूव ... ... ३६८ जीवाणमभयदाणं ... ... जहजायरूवसरिसो... ... जीवादी सद्दहणं ... ... जह जायरूवसरिसा ... ११६ जीवो जिणपण्णत्तो... ... २०७ जह ण वि लहदि ... ... | जे के वि दव्वसवणा ... २७० जह तारयाण चंदो... ... २८७ । जे झायंति सदव्वं ... ...
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