Book Title: Shatak Pancham Karmgranth
Author(s): Ramyarenu
Publisher: Junadiya S M P Sangh
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इक्किक्कहिया सिद्धाणंतंसा, अंतरेसु अग्गहणा । सव्वत्थ जहन्नुचिया, नियणंतसाहिया जिट्ठा ॥ ७७॥ अंतिमचउफासदुगंध-पंचवन्नरसकम्मखंधदलं । सव्वजियणंतगुणरस, मणुजुत्तमणंतयपएसं ॥ ७८॥ एगपएसोगाढं, नियसव्वपएसओ गहेइ जिओ । थोवो आउ तदंसो, नामे गोए समो अहिओ ॥ ७९॥ विग्घावरणे मोहे, सव्वोवरि वेयणीय जेणप्पे । . तस्स फुडत्तं न हवइ, ठिई विसेसेण सेसाणं ॥ ८०॥ नियजाइलद्धदलिया-णंतंसो होइ सव्वघाईणं । बझंतीण विभज्जइ, सेसं सेसाण पइसमयं ॥ ८१॥ सम्मदरसव्वविरई, अणविसंजोय दंसखवगे य । मोहसमसंतखवगे, खीणसजोगीयर गुणसेढी ॥ ८२॥ गुणसेढी दलरयणा-, णुसमयमुदयादसंखगुणणाए । एयगुणा पुण कमसो, असंखगुणनिज्जरा जीवा ॥ ८३॥ पलियासंखंसमुहू, सासण इयरगुण अंतरं हस्सं । गुरू मिच्छि बे छसट्ठी, इयरगुणे पुग्गलद्धंतो ॥ ८४॥ उद्धार अद्ध खित्तं, पलिय तिहा समयवाससयसमए । केसवहारो दीवो-दहि आउ तसाइ परिमाणं ॥ ८५॥ दव्वे खित्ते काले, भावे चउह दुह बायरो सुहुमो । होइ अणंतुस्सप्पिणि-परिमाणो पुग्गलपरट्टो ॥ ८६॥ उरलाइसत्तगेणं, एगजिओ मुयइ फुसिय सव्व अणू । जत्तिय कालि स थूलो, दव्वे सुहुमो सगन्नयरा ॥ ८७॥ लोगपएसोसप्पिणि-समया अणुभागबंधठाणा य । जहतह कममरणेणं, पुट्ठा खित्ताई थूलियरा ॥४८॥
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