Book Title: Shastra Sandeshmala Part 23
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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तेवीसप्पणवीसाछव्वीसाअट्ठवीसइगुतीसा । तीसेगतीस एगं बन्धट्ठाणाइ नामस्स
सव्वासि पगईणं मिच्छद्दिट्ठी बंधओ भणिओ । तित्थयराहारदुगं मोत्तूर्ण सेसपयडीणं सम्मत्तगुणनिमित्तं तित्थयरं संजमेण आहारं । बज्झति सेसियाओ मिच्छत्ताईहि हेऊहिं
सोलस मिच्छत्तंता पणुवीसं होइ सासणंताओ । तित्थयराउसेसा अविरइअंताउ मीसस्स
अविरयअंताओ दस विरयाविरयंतया उ चत्तारि । छच्चेव पमत्तंता एगा पुण अप्पमत्तंता
दो तीसं चत्तारि य, भागे भागेसु संखसण्णाए । चरमे य जहासंखं, अपुव्वकरणंतिया होंति संखेज्जइमे सेसे, आढत्ता बायरस्स चरिमंतो । पंचसु एक्केक्कंता, सुमंता सोलस हवंति सायंत जोगं तो परओ उ नत्थि बंधोत्ति । नायव्वो पयडीणं बंधस्संतो अणंतो य गइयाइएस एवं तप्पा ओग्गाणमोघसिद्धाणं । सामित्तं नेयव्वं पयडीणं ठाणमासज्ज सत्तरिकोडाकोडी अयराणं होइ मोहणीयस्स । तीसं आइतिगंते वीसं नामे य गोए य तेत्तीसुदही आउम्मि केवला होइ एवमुक्कोसा । मूलपयडीण एत्तो ठिहं जहणणं निसामेह
मूलठिईणऽजहण्णो सत्तण्हं साइयाइओ बंधो । सेसति दुविगप्पो आउचउक्केवि दुविकप्पो
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